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डायरी के पन्नों से ..."जीवन और मृत्यु"

 चलचित्र 'वक्त' के लिए आशा भोंसले की मदहोश आवाज़ में गाया गीत - 'आगे भी जाने न तू , पीछे भी जाने न तू
, जो भी है बस यही इक पल है...कर ले पूरी आरज़ू !''- जिसने ध्यान से सुना है और इसके
मर्म को समझा है, वह  निश्चित ही अपने जीवन के हर पल को जी रहा होगा। तो जी लो दोस्तों, अपने जीवन के हर पल को तबीयत से जी लो, क्योंकि.....अगले पल क्या होने वाला है किसी को नहीं पता ! ( ईश्वर करे सबके लिए सब-कुछ अच्छा ही हो। )
    मेरी यह क्षणिका भी जीवन की क्षण-भंगुरता के कटु-सत्य को प्रदर्शित करती है।


           "जीवन और मृत्यु"

 सुबह का विश्वास लेकर,
 शाम की आस लेकर,
 आकाश में उड़ती चिड़िया,
 अनायास ही,
  दोपहर में
  गिर पड़ी
  धरती पर,
 अपने पंख फड़फड़ा कर।
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