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हैदराबादी एन्काउन्टर

      हैदराबाद के चारों बलात्कारियों का आज प्रातः एन्काउन्टर हुआ और वह भी उस स्थान पर जो उन चारों शैतानों की बर्बरता का गवाह था। पूरे देश में उत्सव का  माहौल है। एन्काउन्टर किन परिस्थितियों में हुआ, इसे विवाद का विषय बना कर कई लोग इसे सही या गलत ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ गिद्धदृष्टा वकील व पाखण्डी मानवाधिकारवादी भी ऐसे मामलों में अपनी विद्वता प्रदर्शित करना चाहेंगे, लेकिन मैं तो एन्काउन्टर किसे कहते हैं और यह कब किया जाना चाहिए, मात्र यही समझना चाहता हूँ।    एन्काउन्टर की परिभाषा अब तक तो देश की जनता ने यही देखी और समझी है कि जब कोई पुलिस वाला किसी भ्रष्ट किन्तु प्रभावी नेता के इशारे पर या किसी दबंग धनपति अपराधी से चांदी के कुछ टुकड़े ले कर या फिर अपनी अथवा अपने किसी अफसर की व्यक्तिगत दुश्मनी के चलते किसी निरपराध व्यक्ति को गोली चला कर मार डालता है तो उसे एन्काउन्टर कहते हैं।      आज प्रातः हैदराबाद के पुलिस-कर्मियों ने वहाँ की पशु-चिकित्सक के बलात्कारी हत्यारे चारों दरिन्दों को गोली मार दी क्योंकि उन बदमाशों ने पुलिस-कर्मियों से हथियार छीन कर उन पर आक्रमण किया व वहाँ से

'सच्ची श्रद्धाञ्जलि' (कहानी)

    मैं अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक कभी नहीं रहा हूँ, लेकिन जब डॉक्टर ने कहा कि अब बढ़ती उम्र के साथ मुझे कुछ सावधानियाँ अपने खान-पान में बरतनी होंगी तथा नित्यप्रति आधे घंटे का समय सुबह या शाम को भ्रमण के लिए निकालना होगा, तो मैंने पिछले एक सप्ताह से अपने शहर की झील 'फतहसागर' की पाल पर नियमित भ्रमण शुरू कर दिया। जुलाई माह समाप्ति की ओर था सो मौसम में अब गर्माहट नहीं रही थी। भ्रमण का भ्रमण होता, तो झील के चहुँ ओर प्रकृति की सायंकालीन छटा को निहारना मुझे बेहद आल्हादित करता था। मंद-मंद हवा के चलने से झील में उठ-गिर रही जल की तरंगों का सौन्दर्य मुझे इहलोक से परे किसी और ही दुनिया में ले जाता था। मन कहता, काश! डॉक्टर ने मुझे बहुत पहले इस भ्रमण के लिए प्रेरित किया होता!     मैं फतहसागर झील की आधा मील लम्बी पाल के दो राउण्ड लगा लेता था। इस तरह दो मील का भ्रमण रोजाना का हो जाता था। पिछले दो-तीन दिनों से मैं वहाँ टहलते एक बुजुर्ग को नोटिस कर रहा था। वह सज्जन, जो एक पाँव से थोड़ा लंगड़ाते थे, पाल के एक छोर से दूसरे छोर तक जाते, कुछ देर वहाँ विश्राम करते और फिर वापस लौट जाते