सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

उलझन लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ख़्वाब / हकीकत (प्रहसन)

   मैं भी न दोस्तों, कैसे-कैसे अजीब सपने देखने लगा हूँ! कल सपने में मैं आह-आह पार्टी में था और वाह-वाह पार्टी को भला-बुरा कह रहा था। आज के सपने में देखा कि वाह-वाह पार्टी में शामिल हो कर आह-आह पार्टी को गालियाँ दे रहा हूँ 🙂🙃।

चिन्टू की चाची (कहानी)

                                                       "चिन्टू! .....ओ चिन्टू! कहाँ है रे?" दो मिनट ही हुए थे चिन्टू को विनीता के पास आये कि अनुराधा की तेज़ आवाज़ विनीता के कानों में पड़ी। सहम कर विनीता ने अपने पास बैठे चिन्टू को चूम कर कहा- "जा बेटा, तेरी मम्मी बुला रही है।" "नहीं चाची, मैं अभी यहीं रहूँगा आपके पास।"- मचल कर चिन्टू बोला। "ना बेटे, मम्मी बुला रही हैं न! अभी जा, बाद में फिर आ जाना।"- विनीता ने प्यार से समझाया। चिन्टू विनीता के द्वारा दी गई टॉफ़ी मुँह में घुमाते हुए अनिच्छापूर्वक कमरे से बाहर निकल कर अपनी मम्मी के पास चला गया। विनीता ने सुना, अनुराधा चिन्टू पर बरस रही थी- "फिर गया तू चाची के वहाँ? कितनी बार कहा है तुझसे मुँहजले कि वहाँ मत जाया कर।....और यह मुँह में क्या है ...निकाल, थूक इसे!" -और फिर दो-तीन थप्पड़ के बाद चिन्टू के जोरों से रोने की आवाज़ आई। विनीता का कलेजा मुँह को आ गया, चाहा, दौड़ कर जाये और चिन्टू को अपने ह्रदय से लगा ले, लेकिन अनुराधा के डर से ऐसा न कर सकी। विनीता के लिए अनुराधा का यह व्यवहार कोई नई बात नहीं

'महत्वहीन' (कहानी)

                       वह अपने घर के दरवाज़े से बाहर निकल कर कुछ कदम ही चली थी कि उसने देखा, उसका कुत्ता 'टॉमी' उसके पीछे-पीछे चला आ रहा था। झल्ला कर रुक गई वह। 'उफ्फ़ नॉनसेन्स!' -उसके मुँह से निकला। सूर्योदय होने में लगभग डेढ़-पौने दो घण्टे शेष थे। डरते-डरते अपने हाथों में थामे शिशु की ओर उसने देखा और एकबारगी काँप उठी। कल ही तो वह दिल्ली के अस्पताल से अपनी माँ व शिशु के साथ लौटी थी। अपने किसी भी परिचित को उन्होंने इस बच्चे के जन्म की भनक तक नहीं होने दी थी। दिसम्बर माह का अन्तिम सप्ताह था। शीत के साथ ही भय की एक लहर ने उसका रोम-रोम खड़ा कर दिया। दिल की गहराई तक उसने यह सिहरन महसूस की और भयाक्रान्त हो चारों ओर नज़र डाली। उसे लगा, जैसे सभी दिशाओं से कुछ अज्ञात शक्तियाँ आँखें फाड़-फाड़ कर उसे घूर रही हैं। एक चीख उसके कण्ठ में घुट कर रह गई। एक बार फिर निद्रामग्न अपने शिशु की ओर देख कर उसने पीछे खड़े टॉमी की ओर देखा। टॉमी अपनी पूँछ हिलाता हुआ चुपचाप खड़ा शायद उसके मनोभाव पढ़ने की कोशिश कर रहा था। अपनी मालकिन के साथ रहना उसकी आदत-सी बन गई थी, इसीलिए वह साथ चला आया था।  वह टॉमी

व्यामोह (कहानी)

                                          (1) पहाड़ियों से घिरे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक छोटा सा, खूबसूरत और मशहूर गांव है ' मलाणा ' । कहा जाता है कि दुनिया को सबसे पहला लोकतंत्र वहीं से मिला था। उस गाँव में दो बहनें, माया और विभा रहती थीं। अपने पिता को अपने बचपन में ही खो चुकी दोनों बहनों को माँ सुनीता ने बहुत लाड़-प्यार से पाला था। आर्थिक रूप से सक्षम परिवार की सदस्य होने के कारण दोनों बहनों को अभी तक किसी भी प्रकार के अभाव से रूबरू नहीं होना पड़ा था। । गाँव में दोनों बहनें सबके आकर्षण का केंद्र थीं। शान्त स्वभाव की अठारह वर्षीया माया अपनी अद्भुत सुंदरता और दीप्तिमान मुस्कान के लिए जानी जाती थी, जबकि माया से दो वर्ष छोटी, किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटने वाली विभा चंचलता का पर्याय थी। रात और दिन की तरह दोनों भिन्न थीं, लेकिन उनका बंधन अटूट था। जीवन्तता से भरी-पूरी माया की हँसी गाँव वालों के कानों में संगीत की तरह गूंजती थी। गाँव में सबकी चहेती युवतियाँ थीं वह दोनों। उनकी सर्वप्रियता इसलिए भी थी कि पढ़ने-लिखने में भी वह अपने सहपाठियों से दो कदम आगे रहती थीं।  इस छोटे