'सिलसिला' (रुबाई) Gajendra Bhatt 'हृदयेश' Gajendra Bhatt "हृदयेश" जनवरी 10, 2022 न तुम्हारे हो सके हम, न किसी और ने थामा हमको, ताउम्र मुन्तशिर रहे हम, ऐसा सिलसिला दे दिया तुमने! कभी कहा करते थे तुम, हमें इश्क करना नहीं आता, तुम्हें तो इल्म ही नहीं, कितने आशिक पढ़ा दिये हमने! ***** मुन्तशिर = बिखरा-बिखरा इल्म = जानकारी Read more »
डायरी के पन्नों से ..."चंद रुबाइयाँ और मुक्तक" Gajendra Bhatt 'हृदयेश' Gajendra Bhatt "हृदयेश" फ़रवरी 23, 2018 मेरे अध्ययन-काल की रचनाएँ ... Read more »
डायरी के पन्नों से ..."कुछ शेर / रुबाइयाँ" Gajendra Bhatt 'हृदयेश' Gajendra Bhatt "हृदयेश" जनवरी 20, 2018 पेश हैं कुछ रचनाएं - अतीत की Read more »