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जुलाई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दूरभाष पर नेता जी…

    हैलो... हाँ-हाँ बोल रहा हूँ... बोलो... अच्छा... कौन ? अच्छा... अपनी पार्टी में आना चाहता है... किस पार्टी से है ? आतंकवादी जन संगठन पार्टी ? नहीं-नहीं भाई, ऐसा नहीं हो सकता... अरे नहीं, लोग क्या कहेंगे... क्या कहा... जिताऊ उम्मीदवार है ? ठीक है, ठीक है, ज़रूर आत्मा की आवाज़ पर आ रहा होगा ...ओके ! कर लो शामिल... नहीं वो मैं देख लूँगा... और देखो और लोगों को भी उस पार्टी से तोड़ने की कोशिश करो... कैसा भी हो, जिताऊ होना चाहिए... अरे हाँ भाई, तिजोरी तो खुली है इसके लिए... चिंता मत करो तुम... अरे, अध्यक्ष जी ने तो पहले ही कह रखा है... देखो, यह चुनाव तो हमें जीतना ही है... अच्छा भाई, ठीक है... गुड नाइट !

इतना तो करो मेरे देश के रहनुमाओं....

    कश्मीर में धारा 370 ख़त्म मत करो, महँगाई कम मत करो, भ्रष्टाचार भी ख़त्म मत करो, लेकिन इतना इन्तज़ाम तो  कम से कम करो ही मेरे देश के रहनुमाओं कि इस देश की बच्चियाँ और महिलाएँ मेहफ़ूज़ रह सकें, ईश्वर की दी हुई ज़िन्दगी को बेख़ौफ़ जी सकें- हम मान लेंगे कि अच्छे दिन आ गए हैं।