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व्यामोह (कहानी)

                                          (1) पहाड़ियों से घिरे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक छोटा सा, खूबसूरत और मशहूर गांव है ' मलाणा ' । कहा जाता है कि दुनिया को सबसे पहला लोकतंत्र वहीं से मिला था। उस गाँव में दो बहनें, माया और विभा रहती थीं। अपने पिता को अपने बचपन में ही खो चुकी दोनों बहनों को माँ सुनीता ने बहुत लाड़-प्यार से पाला था। आर्थिक रूप से सक्षम परिवार की सदस्य होने के कारण दोनों बहनों को अभी तक किसी भी प्रकार के अभाव से रूबरू नहीं होना पड़ा था। । गाँव में दोनों बहनें सबके आकर्षण का केंद्र थीं। शान्त स्वभाव की अठारह वर्षीया माया अपनी अद्भुत सुंदरता और दीप्तिमान मुस्कान के लिए जानी जाती थी, जबकि माया से दो वर्ष छोटी, किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटने वाली विभा चंचलता का पर्याय थी। रात और दिन की तरह दोनों भिन्न थीं, लेकिन उनका बंधन अटूट था। जीवन्तता से भरी-पूरी माया की हँसी गाँव वालों के कानों में संगीत की तरह गूंजती थी। गाँव में सबकी चहेती युवतियाँ थीं वह दोनों। उनकी सर्वप्रियता इसलिए भी थी कि पढ़ने-लिखने में भी वह अपने सहपाठियों से दो कदम आगे रहती थीं।  इस छोटे

साध और साधना (कहानी)

                                           (1) “ऑफिस से आये हो तब से देख रही हूँ, यूँ ही गुमसुम बैठे हो। दो बार पूछ चुकी हूँ, बताते क्यों नहीं, आखिर बात क्या है?” -तोशल ने अपने पति शशांक से पूछा।  “क्या होगा बता कर, जब मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास मेरी चिंता का कोई समाधान नहीं है।” “मुझे नहीं बताने से तुम्हें तुम्हारा समाधान मिल जाता है तो ठीक है, मुझे क्या पड़ी है?”  तोशल मुँह फुला कर जाने लगी तो शशांक ने उसका हाथ पकड़ कर चेहरे पर मुस्कराहट लाने की कोशिश करते हुए कहा- “यार नाराज़ क्यों होती हो? फिलहाल सोच रहा हूँ। अगर किसी नतीजे पर नहीं पहुँचा तो बता दूंगा। फ़िज़ूल तुम्हें परशान करने से क्या होगा?” “अब बातें न बनाओ। तुम्हारी परेशानी क्या मेरी परेशानी नहीं है?” “ठीक है बाबा, बताता हूँ। दरअसल अपनी कार की बकाया चार किश्तें इस सप्ताह बैंक में एक मुश्त जमा करानी हैं। अभी तक तो बैंक ने सब्र कर लिया है। अब अगर जमा नहीं हुईं तो बैंक कार जब्त कर नीलाम कर देगा।” सुन कर तोशल के चेहरे पर चिंता की रेखाएं उभरीं। दो मिनट कुछ सोच कर बोली- “इसीलिए तो कहती हूँ, अपनी प्रॉब्लम शेयर किया करो। मैं भी सोचती हूँ