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पतनोन्मुख राजनीति

          हमारे देश भारत के प्रधान मंत्री, जो इस गौरवशाली राष्ट्र की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, के लिए अपशब्द कहने वाले लोग अच्छे खानदान के नहीं हो सकते। शासन की यह आश्चर्यजनक व विस्मयकारी उदारता है कि ऐसे लोगों के अपराधों को निरन्तर सहन किये जा रहा है। आज से दस वर्ष पहले के दिनों में ऐसी गन्दगी सत्ताधारियों का विरोध करने वाले किसी भी विपक्षी ने कभी नहीं की थी, क्योंकि उस समय के सत्ताधारी आज की तरह उदार नहीं थे। स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी, जिनका मैं भी प्रबल प्रशंसक रहा हूँ, की उनके राजनैतिक विरोधी स्व. अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रशंसा करते हुए उन्हें 'देवी दुर्गा' कह कर सम्बोधित किया था। छिप गया है राजनीति का वह उज्ज्वल चेहरा आज के घिनौने राजनीतिज्ञों के अपवित्र अस्तित्व की ओट में। ऐसे निरंकुश नराधमों को देश की प्रबुद्ध जनता सिरे से अस्वीकार कर देगी, यह बात सम्भवतः वह एवं उनके पिछलग्गू नहीं जान रहे। जनता तो उन्हें दंडित करेगी ही, किन्तु उसके पहले कानून को भी अपनी आँख खोलनी चाहिए। हाँ, कानून को सत्य की परख करते समय यह नहीं देखना चाहिए कि अपराधी सत्तासीन दल का है या विपक्ष का।