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मई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कानून समदृष्टा हो...

गोवा निवासी Lavu Chodankar के द्वारा मार्च में मोदी जी के विरुद्ध की गई टिप्पणी के लिए मई माह में पुलिस द्वारा केस दर्ज किया गया। यदि चुनाव-परिणाम जुलाई में आते तो शायद केस भी जुलाई में दर्ज होता। यदि चुनाव में विजय किसी और पार्टी की होती तो विजेता पार्टी का समर्थक Lavu Chodankar को पद्मश्री के लिए प्रस्तावित करता और इसके लिए कार्यवाही भी आगे बढ़ जाती। राजनीति इसी का नाम है  और यह ऐसे ही चलती है। अब पुनः इस राजनीति का शिकार बेंगलूरू का मैनेजमेंट (MBA) का छात्र सैयद वक़ार हो रहा है (जैसा कि आज के दैनिक पत्र 'राजस्थान पत्रिका' से ज्ञात हुआ)। एक क्षण के लिए मान लेते हैं कि इनकी टिप्पणियां आपत्तिजनक रही होंगी, लेकिन इन पर ही यह वज्रपात क्यों ? चुनाव के दौरान कई राजनैतिक दिग्गजों ने मर्यादा की सीमा तोड़कर कितनी ही बार राजनीति को शर्मसार करने वाली कई अभद्र और उल-जलूल टिप्पणियां की हैं। फेसबुक जैसे सोशियल मीडिया में शिरकत करने वाले कितने ही असभ्य लोगों ने जुबान पर नहीं लाई जा सकने वाली गली-गलौज की चवन्नी-कट भाषा का प्रयोग कर एक-दूसरे का और मोदी जी, सोनिया जी, केजरीवाल जी और डॉ मनमोहन

अभी राह में कांटे और भी हैं.…

 जिस तरह  पूर्व में दिल्ली विधानसभा के लिए  टिकिट नहीं मिलने से नाराज़ बिन्नी ने AAP पर अनर्गल आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी थी, ठीक उसी तरह लोकसभा के लिए टिकिट नहीं मिलने से अब तक नाराज़ शाजिया इल्मी ने AAP की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए व्यक्त किया की AAP में उनकी प्रासंगिकता समाप्त हो गई है। वैसे शाजिया की प्रासंगिकता तो उसी दिन से AAP के लिए समाप्त हो गई थी जब उन्होंने मुसलमानों को अधिक धर्मनिरपेक्ष न होने की सलाह दे डाली थी।     अच्छा है कि धीरे-धीरे और भी कचरा यदि पार्टी में बचा हुआ हो तो साफ हो जाये और पार्टी का मूल धवल स्वरुप निखर आये। शैशव अवस्था में चल रही AAP को अभी कई इम्तहानों से गुज़रना बाकी है, बाहर के दुश्मनों और भीतर के गद्दारों से जूझना बाकी है। 

इस तत्परता के लिए बधाई !

    राजनैतिक परिवर्तन के साथ ही प्रशासन चुस्त हुआ। नितिन गडकरी के द्वारा दायर मानहानि के मामले में अरविन्द केजरीवाल को आज हिरासत में लिया गया और जमानत नहीं दी जाने के कारण दो दिन के लिए जेल भेजा गया। कार्य-निष्पादन में वाकई में तेजी आ गई है। इस तत्परता के लिए बधाई !    गडकरी सही हैं या गलत- यह तय होगा न्यायिक प्रक्रिया से, लेकिन केजरीवाल तो दोषी हैं ही। क्यों वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध इतना मुखर हो रहे हैं, जब कि भ्रष्टाचार तो इस देश की हवा में भी रच-बस गया है। यहाँ की जनता भी भ्रष्टाचार के साथ जीना सीख गई है, जीना ही नहीं सीख गई अपितु इस माहौल का आनंद उठा रही है। इसीलिए तो उसने AAP को मात्र चार सांसदों तक सीमित रखा है। 

सोलहवीं लोकसभा और हमारे नये प्रधानमंत्री

 प्रधानमंत्री-पद पर निर्वाचन के बाद सोलहवीं लोकसभा के नव-निर्वाचित सांसदों को सम्बोधित करने के दौरान मोदी जी की भाषण-शैली में भाषा-सन्तुलन के साथ जो वैचारिक उदारता एवं संकल्प-शक्ति दिखाई दी वह मोदी जी के व्यक्तित्व के पृथक स्वरुप को उजागर करती है। अगर यह राजनीति है तो भी यह राजनीति का एक उज्ज्वल पक्ष है। आज के उनके भाषण ने देश की जनता की आकांक्षाओं  के पहाड़ को आकाश की ऊंचाई दे दी है। आज़ादी के बाद से भारत के आम आदमी के जीवन-स्तर में निरन्तर उठाव तो आता रहा है लेकिन उसके चेहरे पर की मुस्कान अभी भी फीकी है। यदि उसकी मुस्कान को जीवन्त करने में मोदी जी सफल हो सके तो, यदि उसकी उम्मीदों के आसमान को धरती पर ला सके तो पांच वर्ष बाद लोग कह सकेंगे - फिर इस बार.....मोदी सरकार !     लेकिन, यक्ष प्रश्न है कि क्या मोदी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे ? सब जानते हैं कि मोदी लहर चली थी और खूब जोर से चली, तो जाहिर है कि लहर के साथ कूड़ा-कर्कट भी आना ही था, सो आया। इस लोक सभा में हर तीन में से एक सांसद अपराधिक पृष्ठभूमि का है और उनमे से कई गम्भीर अपराधों से सम्बन्ध रखते हैं (दोष उनका नहीं है कि व

सरल, चर्चित व्यक्तित्व डॉ. मनमोहन सिंह

अपनी सरलता, सादगी पूर्ण शालीनता और विद्वता के लिए कभी नहीं भुलाये जा सकने वाले अद्वितीय  अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कल प्रधानमंत्री पद से त्याग-पत्र दे दिया। शासन की अपनी प्रथम पारी की प्रशंसनीय सफलता के कारण ही पुनः प्रधानमंत्री मनोनीत हुए डॉ. सिंह अपनी पहली सफलता को दोहराने में असमर्थ रहे। इस असफलता के नैपथ्य में कई स्थानीय तो कई वैश्विक कारण जिम्मेदार रहे हैं।     डॉ. सिंह के प्रथम कार्यकाल की अवधि में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जिस गति से विकास हुआ उससे भारत को अन्तर्राष्ट्रीय जगत में अत्यधिक प्रशंसा एवं सम्मान मिला। उनकी आर्थिक उदारीकरण की नीति ने कई क्षेत्रों में कामयाबी दिलाई तो कई में वह नाकाम भी रही। उनके शासनकाल में परमाणु मोर्चे पर सफलता की कड़ियाँ जोड़ने वाली उपलब्धि तो हासिल हुई, लेकिन बेरोजगारी और मंहगाई जैसी मूलभूत समस्याओं के निराकरण की कोई सार्थक नीति देश को नहीं मिल सकी। तथापि डॉ. सिंह की के समय की इस उपलब्धि को नहीं नकारा जा सकता कि उच्च आर्थिक विकास दर बनी रहने के कारण ही वर्ष 2007-08 के समय के वैश्विक आर्थिक संकट के दौर में भी देश की स्थिति अन्य कई वि

उसे जीतना ही होगा....... !

वाराणसी से MP का चुनाव लड़ रहा केजरीवाल एक व्यक्ति नहीं, एक विचारधारा है, एक समूचा आन्दोलन है, आपकी, हमारी और देश की आशा का केन्द्र है। वह लड़ रहा है ताकि हम और हमारी अगली पीढ़ियां सुख की नींद सो सकें। वाराणसी में संघर्ष कर रहा केजरीवाल अकेला नहीं है, देश के हर गांव और हर शहर में अन्याय और भ्रष्टाचार से लड़ रहा हर व्यक्ति केजरीवाल है। केजरीवाल हार नहीं सकता, वह जीतेगा, उसे जीतना ही होगा....... !

अमर शहीद को श्रद्धांजलि !

भारत में अंग्रेजों की हुकूमत के समय का खयाल जहन में आ गया जब क्रन्तिकारी लड़ाकों को विदेशी गुंडों द्वारा सरे-आम मार डाला जाता था। आज भी ऐसा ही हो रहा है, केवल वक्त बदला है और बदल गई हैं गुंडों की शक्लें ! AAP के समर्थक जगसीर सिंह को विपक्ष के कुछ बहशी दरिंदों ने पीट-पीट कर मार डाला। सम्भव है कुत्सित राजनीति वाली सोच इस ह्रदय-विदारक हादसे को महत्व न दे, क्योंकि यह युवक AAP का समर्थक था।……

राजनीति ऊंची चीज़ है

  सच ही राजनीति बहुत ही ऊँची चीज़ है। मोदी जी अभी अमेठी में भाषण दे रहे थे और करबद्ध मीडिया इसका लाइव प्रसारण कर रहा था। मोदी जी कह रहे थे कि चाय वाले का उभरना सब को रास नहीं आ रहा है और यह कि मेरे भविष्य का मत सोचो, मैं तो वापस चाय बना कर बेच सकता हूँ और यह भी कि एक गरीब माँ का बेटा हूँ। यही बात वह पहले भी कई बार कह चुके हैं। समझ से परे है कि जो व्यक्ति 10 वर्षों से मुख्य-मंत्री है वह अभी भी चाय बेचने वाला और गरीब माँ का बेटा कैसे हैं। उनकी माँ अभी तक गरीब क्यों हैं, मध्यम वर्ग की क्यों नहीं हो पाई हैं ? चलो भाई, कह रहे हैं तो मान लेते हैं, हमसे मनवाने के लिए ही तो कह रहे हैं।  हाँ, केजरीवाल जी इतना अच्छा नहीं बोल पाते।