सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत- 'विश्व का सरताज़'

    सही मायने में देखा जाये तो भारत में इस बार किसी पार्टी के सांसदों ने प्रधानमंत्री को नहीं चुना, सीधे ही जनता ने चुना है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी की आवाज़ में एक ताक़त है, उनके इरादों में मज़बूती है और कुछ कर गुज़रने का ज़ुनून भी दिखाई दे रहा है। अमेरिका में आज के उनके भाषण से तो यही लग रहा है। ईश्वर करे, मेरी यह सोच और समझ सही हो ! मोदी जी के नेतृत्व की संकल्प-शक्ति के सहारे हमारा भारत महात्मा गांधी के सपनों का भारत बन सके !! शहीद भगत सिंह और सुभाष चन्द्र बोस जैसे देश के सपूतों का त्याग और बलिदान सार्थक हो सके !!! और…और मेरे देश का हर नागरिक निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के उत्त्थान के लिए जो कुछ भी सम्भव है, यथाशक्ति करे। हर नागरिक मोदी का हाथ और दिमाग बन जाए, तब ही बन सकेगा भारत 'विश्व का सरताज़' !

अपराजेय

 आज का मेरा सुविचार :-    'बाहुबली धन के आगे झुकता है तो धन-कुबेर को सत्ताधीश के सम्मुख नतमस्तक होना पड़ता है, लेकिन आत्म-सम्मान से परिपूर्ण व्यक्ति अपराजेय होता है।'

'हमारा भारत महान'

  अक्सर यह व्यंग्य करते आये हैं लोग कि  '100 में से 99 बेईमान, फिर भी हमारा भारत महान!'- शायद कटु-सत्य है भी यह, लेकिन आज हम सच में ही सगर्व कह सकते हैं - "एशिया में सबसे पहले हमारी मंगल तक सफल उड़ान,  विश्व-गुरु, सबसे न्यारा, 'हमारा भारत महान'।"              वन्दे मातरम् !!!

मदद की पेशकश !

    मित्र राजेश से अस्पताल में आज अनायास ही मुलाक़ात हो गई तो पूछ बैठा - "अमां यार, कैसे हो ? कहाँ रहते हो आजकल ? घर में सब ठीकठाक है ? यहाँ कैसे आये ?"     प्रश्नों की इस बौछार से उबरने के अंदाज़ में राजेश ने कहा - "बस यार, यूँ ही जरा इस पेशेंट की मदद करने आया था। इसे ऑपरेशन के लिए कुछ पैसा चाहिए था।"    राजेश की इस बात से प्रभावित होकर मैंने फिर पूछा - "वैरी गुड, कैसे जानते हो इसे ?"     लगभग घसीटते हुए एक ओर ले जाकर राजेश ने मुझे बताया कि यह वही आदमी है जो पिछले सप्ताह उसके घर में चोरी की नीयत से आया था और अचानक घर पर जाग हो जाने से उसके बेटे के हाथ पर चाक़ू मार कर छत से नीचे कूद पड़ा था और इस कारण बुरी तरह से जख्मी हो गया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अस्पताल में भर्ती करवाया था और आज उसका ऑपरेशन होना है।    हतप्रभ, मैं राजेश से कह पड़ा - " भले आदमी ! इस राक्षस को तुम मदद करने जा रहे हो जिसने तुम्हारे बेटे को चाकू मारा था। क्या तुम पागल हो गए हो ?"   राजेश ने शान्त स्वर में जवाब दिया - "तुम मुझे पागल कहते हो ? मैं मानवीयता के नाते यह म