कानपुर शहर के एक मोहल्ले में रहने वाले रिया और अमन बचपन के दोस्त थे, जो एक ही पड़ोस में पले-बढ़े थे। दोनों की ज़िन्दगी हँसते-खेलते अच्छे से गुज़र रही थी। कभी-कभी बचपन की उनकी आपसी चुहल कुछ इस सीमा तक बढ़ जाती थी कि दोनों आपस में झगड़ भी पड़ते थे। दोनों को फोटोग्राफी का शौक था और यदा-कदा जगह-जगह के कई तरह के फोटो लिया करते थे। कभी-कभार ऐसा भी होता था कि ‘मेरा फोटो तुझसे अच्छा’, कह कर एक-दूसरे के फोटो फाड़ डालने की नौबत भी आ जाती थी। बचपन का यह लड़ना-झगड़ना कब उनकी एक-दूसरे के प्रति आसक्ति में बदल गया, इसका उन्हें पता ही नहीं चला। उन्होंने अपने सपनों से लेकर अपने सभी रहस्यों तक को एक-दूसरे के साथ साझा किया था। वे अविभाज्य थे, एक शरीर और दो प्राण बन चुके थे। लेकिन अचानक उनकी किस्मत ने पलटा खाया और अमन का परिवार भीषण आर्थिक विषमता की जकड़न में आ गया। एक दिन अमन को अपने परिवार के साथ दूसरे शहर में जाना पड़ा। उन्होंने सम्पर्क में रहने का वादा किया और कुछ समय तक उन्होंने सम्पर्क बनाए भी रखा। उन्होंने एक-दूसरे को पत्र लिखकर अपने नये अनुभव और भावनाएँ साझा कीं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, पत्रों का