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दिसंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगर यह 'ख़ून' होता...

   कितना अराजक है यह शासनतंत्र और कितने बेपरवाह हैं कानून-रक्षक कि वर्षों से जनता को बेवकूफ़ बना कर blood test के नाम पर ठगने वाली व्यावसायिक प्रयोगशालाओं पर प्रतिबन्ध नहीं लगा रहे हैं। हमारे ख़ून की जाँच में यह प्रयोगशालाएं RBC count बताती हैं, haemoglobin बताती हैं, blood group बताती हैं और भी कई प्रकार के टेस्ट करने का ढोंग करती हैं, लेकिन जिसे 'ख़ून' का नाम देकर जाँच की जाती रही है, वह 'ख़ून' कहाँ है ? अगर यह 'ख़ून' होता तो निर्भया बलात्कार/हत्याकाण्ड के मामले में बालिगों वाला कृत्य करने वाले नाबालिग अपराधी की रिहाई की बात सुनते ही उबल न पड़ता ? 

अपना ज़मीर टटोलो...

   क्या खूब कहा है कहने वाले ने - 'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!' यह लफ्ज़ किसी मुर्दे में भी जान फूंकने की ताक़त रखते हैं, लेकिन क्या यह उन दीवानों पर कुछ थोड़ा भी असर डाल सकेंगे जो मूवी 'दिलवाले' को सिनेमाघरों में देखने को बेताब हैं? अपने ज़मीर को टटोलो दोस्तों! इस फिल्म का हीरो वही शाहरुख़ खान है जिसने हमारे शान्तिप्रिय भारत देश को 'असहिष्णु' कहने वाले कुटिल लोगों की जमात में शामिल होकर हमारे वतन को बदनाम करने की गुस्ताख़ी की है। यह मूवी नहीं देखोगे तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा, ज़मीन रसातल में नहीं चली जाएगी। वतनपरस्त बनो और ऐसे शख़्स को ऐसा सबक दो कि फिर कभी ऐसी हिमाकत करने का ख़याल ही उसके ज़ेहन में न आ सके। जय हिन्द! जय भारत!