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विधान (एक प्राचीन लघुकथा)

  एक प्राचीन कहानी, जिन लोगों ने नहीं पढ़ी-सुनी हो, उनके लिए - एक समय की बात है। यमराज श्री विष्णु भगवान के दर्शन करने विष्णुधाम पहुँचे। द्वार पर गरुड़ जी पहरा दे रहे थे। द्वार के ऊपर की तरफ एक खूँटे पर एक कबूतर बैठा था। यमराज ने गहरी दृष्टि से उसे देखा और भीतर चले गये। कबूतर थर-थर काँपने लगा।  गरुड़ जी ने पूछा- "क्या बात है भाई, इतना घबरा क्यों रहे हो?" "श्रीमान, यमराज जी की दृष्टि मुझ पर पड़ गई है। मैं अब बच नहीं सकूँगा।" "अरे नहीं भाई, व्यर्थ चिंता क्यों करते हो? उनका तुमसे कोई वास्ता नहीं है। वह तो यहाँ परमेश्वर के दर्शन करने आये हैं।" "नहीं प्रभु, मैंने सुना है, जिस पर उनकी दृष्टि पड़ जाए, वह बच नहीं सकता। मेरी मृत्यु अवश्यम्भावी है।" -भयाक्रान्त कबूतर ने कहा।  "अगर ऐसा ही सोचते हो तो चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें नितान्त सुरक्षित स्थान पर ले चलता हूँ।" कबूतर ने प्रसन्नता से सहमति दे दी। गरुड़ जी ने मात्र दो पल में उसे सहस्रों योजन दूर एक विशालकाय पर्वत की गहरी कन्दरा में ले जा कर छोड़ दिया और सुरक्षा के लिए कन्दरा का मुख एक विशाल चट्टान से ढ

'झाँसी की रानी'- "कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान"

         स्वाधीनता-संग्राम से सम्बद्ध यह रचना बहुत लुभाती है मुझे। मैं नहीं समझता कि झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की वीरता विषयक इससे अधिक अच्छी कविता किसी और कवि/कवयित्री द्वारा लिखी जा सकती थी। तो मित्रों, आपकी सुषुप्त यादों और संवेदनाओं को

उत्तर पूरी पुरूष जाति के पास नहीं

एक फेसबुक-मित्र द्वारा शेयर की गई एक प्रेरक कहानी---  एक अमीर आदमी की शादी एक बुद्धिमान स्त्री से हुई। अमीर हमेशा अपनी बीवी से तर्क और वाद-विवाद मेँ हार जाता था। बीवी ने कहा कि स्त्रियाँ मर्दों से कम नहीँ.. अमीर ने कहा मैँ दो वर्षो के लिये परदेश चला जाता हूँ। एक महल,बिजनेस मेँ मुनाफा और एक बच्चा पैदा करके दिखा दो। आदमी परदेश चला गया... बीवी ने सारे कर्मचारियों में ईमानदारी का बोध जगा कर मेहनत का गुण भर दिया। पगार भी बढ़ा दी। सारे कर्मचारी खुश होकर दिल लगा कर काम करने लगे। मुनाफा काफी बढ़ा... बीवी ने महल बनवा दिया.. बीवी ने दस गायें पालीं.. उनकी काफी खातिरदारी की... गायों का दूध काफी अच्छा हुआ.. दूध से दही जमा के परदेश मेँ दही बेचने चली गई वेश बदल के.. अपने पति के पास बदले वेश में दही बेचा...और रूप के मोहपाश में फँसा कर सम्बन्ध बना लिया। एक दो बार और सम्बन्ध बना के अँगूठी उपहार में लेकर घर लौट आई। बीवी एक बच्चे की माँ भी बन गई। दो साल पूरे होने पर पति घर आया। महल और शानो-शौकत देखकर पति दंग और प्रसन्न हो गया। मगर जैसे ही बीवी की गोद मेँ बच्चा देखा, क्रोध से चीख उ

भारत में महिला रक्षा मंत्री बनने के बाद...

एक फेसबुक-मित्र द्वारा शेयर की गई यह हास्य-पोस्ट बहुत अच्छी लगी, यथावत प्रस्तुत कर रहा हूँ :- महिला रक्षा मंत्री बनने के बाद भविष्य में होने वाले रक्षा सौदों के संवाद.... _*"इस टैंक में दूसरी डिजाइन है क्या ?"*_ _*"यह गोला इस तोप के साथ मैच नहीं हो रहा है।"*_ _*"इस राईफल में लटकन नहीं लगाओगे ?"*_ _*"इतने सारे गोले लिए हैं, थोड़े कारतूस फ्री नहीं दोगे ?"*_ _*"थोड़ा बाजिब लगाईये भाईसाब।"*_ _*"रुस वाले तो आप से कम भाव में दे रहे हैं।"*_ _*"हमेशा आपके यहाँ से ही लेते हैं।"*_ _*"पिछली बार कैसे गोले दिये थे, एक भी नहीं फूटा।"*_ _*"जो भी हो, बदलना तो पड़ेंगे ही।"*_ _*"इस राईफल को धोने के बाद जंग तो नहीं लगेगी ?"*_ _*"अभी नहीं लेना, बस टैंक ही देखना था."*_ _*"ये मना कर रहे हैं, राईफल वापिस ले लो."*_ _*"टैंक का कलर तो नहीं जायेगा ?"*_

रिश्ते सहेजें...

   (तनिक संशोधन के साथ, एक मित्र की फेसबुक पोस्ट से साभार !...तर्क की हर कसौटी पर खरा, सटीक सत्य!) पानी ने दूध से मित्रता की और उसमें समा गया. जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा, "मित्र, तुमने अपने स्वरूप का त्याग कर मेरे स्वरूप को धारण किया है। अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हें अपने मोल बिकवाऊंगा"। दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है, "अब मेरी बारी है, मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा।" उबलते वक्त दूध से पहले पानी उड़ जाता है। जब दूध मित्र को अलग होते देखता है तो वह भी उफन कर गिरता है और अलगाव के लिए जिम्मेदार आग को बुझाने लगता है। अब, जब पानी की बूंदे उफनते दूध पर छिड़क कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है, तब वह फिर शांत हो जाता है। इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास ( निम्बू की दो-चार बूँद ) डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं।     मित्रों, इसी तरह से थोड़ी सी भी मन की खटास अटूट प्रेम को मिटा देती है।    "सच्ची मित्रता से बढ़ कर कोई दूसरा रिश्ता नहीं हो सकता। इस रिश्ते को और अन्य रिश्तों को भी किसी भी प