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भुतहा सड़क का रहस्य (कहानी)

                                                                                                                      अगस्त माह का प्रथम सप्ताह था। शहर में लॉक डाउन खत्म होने के बाद अचानक मिले एक प्राइवेट केस से निवृत होने के बाद प्राइवेट डिटेक्टिव रमेश रंजन शर्मा ने चैन की साँस ली थी। वह बुरी तरह उलझे हुए उस केस को सुलझाने के बाद तफ़री से अपना मूड ठीक करने के उद्देश्य से अपने मित्र आशुतोष खन्ना के यहाँ आया हुआ था। आशुतोष दूसरे शहर इंटोला में रहता था जो रमेश के अपने शहर विवेकपुर से क़रीब 205 कि.मी. की दूरी पर था। इंटोला प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत क़स्बा था। इंटोला के आस-पास क...

'सुलगती चिन्गारी' (कहानी)

                                                मनोहर कान्त बहुत दुविधा में थे। पत्नी की मृत्यु हुए तीन वर्ष हो चुके थे, किन्तु उसकी याद अभी तक दिल से भुला नहीं सके थे। नज़दीकी रिश्तेदार लम्बे समय से उनसे दूरी बनाये हुए थे, क्योंकि उनकी उन्नति और समृद्धि से सबको कुढ़न थी। उनकी पत्नी के परिवार के लोगों ने भी अब इस परिवार में रुचि लेना बंद कर दिया था, लेकिन कुछ मित्र थे जो अपने-अपने तर्क दे रहे थे - 'एक कुँआरी बेटी है घर में, उसका अकेले मन कैसे लगेगा, फिर उसकी शादी भी तो करनी है। कहते हैं कि साठा उतना पाठा। अभी मात्र 53 वर्ष की उम्र ही तो है आपकी और फिर घर का चिराग भी तो आना चाहिए', कह कर फिर से शादी करने के लिए दबाव बना रहे थे। यही नहीं, उनकी स्वयं की बेटी रवीना भी इसके लिए ज़ोर दे...