हिंदी भाषा हिन्दी भाषा की जो आन-बान है, किसी और की कब हो सकती है! मेरे देश को परिभाषित करती, हिन्दी तो स्वयं माँ सरस्वती है। अपनी उपरोक्त छोटी-सी रचना से प्रारम्भ कर के मैं हमारी मातृभाषा हिन्दी के सम्मान में कुछ और भी कहूँगा - मेरे देश के कुछ अहिन्दीभाषी क्षेत्रों में किसी हिन्दीभाषी व्यक्ति को ढूंढ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है, जबकि हिन्दी हमारी मातृभाषा है। पूर्णतः वैज्ञानिक, तार्किक एवं साहित्यिक समृद्धि से परिपूर्ण हमारी हिंदी भाषा हमारे ही देश में इस तरह तिरस्कृत हो रही है, इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? वहीं, यह बात कुछ सांत्वना देने वाली है कि 'हिन्दी' के प्रति रुझान बढ़ाने हेतु इसके प्रचार-प्रसार का उच्चतम प्रयास सरकारी स्तर पर किया गया है। 'हिन्दी-दिवस' के पावन अवसर पर रीजनल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, अजमेर में अध्ययन के प्रारम्भिक काल में मेरे द्वारा लिखी गई कविता --- ...