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डायरी के पन्नों से ... "अहंकार में आकर तुम भी...''


 देश के कुछ राज्यों में हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता पलट गई है.....आगाह रहें नये सत्ताधीश!

कई वर्षों तक तुमको, तो कुछ वर्षों से उनको भी,
सिंहासन पर पहुँचाया था, हम बेबस लाचारों ने।
ठगा गया जनतंत्र, पीड़ित है हर जन का तन-मन,
बहुत बहलाया जनता को, तुम सबके झूठे नारों ने।

 कई बार तुम सबको परखा, हम सबकी मजबूरी ने,
काठ की हांडी हर बार नहीं, कब तुम यह समझोगे,
भव्य-ऊंचे महलों में जाकर, सत्ता की मदहोशी में,
अपने ही भाग्य-विधाता  को कब तक तुम कुचलोगे?

विवश होकर जनता तुमको, सड़कों पर ले आएगी।
मारेगी, रोने ना देगी, और अधिक भरमाना ना।
सम्भलो, कुछ तो नसीहत लो, औंधे गिरने वालों से,
अहंकार में आकर तुम भी, अपने होश गंवाना ना।

-गजेन्द्र भट्ट



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