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केन्द्र सरकार से गुज़ारिश

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के अनुसार उन्हें इस दीपावली पर एक अनूठा विचार आया और उस विचार के आधार पर उन्होंने केन्द्र सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव रखा कि भारतीय मुद्रा (नोट) के एक ओर गाँधी जी की तस्वीर यथावत रखते हुए दूसरी ओर भगवान गणेश व माता लक्ष्मी की तस्वीर छपवाई जाए, ताकि देवी देवताओं का आशीर्वाद देश को प्राप्त हो (देश के लिए आशीर्वाद चाहते हैं या स्वयं के लिए, यह तो सभी जानते हैं 😉 )। इसके बाद आरजेडी दल की तरफ से एक प्रस्ताव आया कि मुद्रा (नोट) के एक तरफ गाँधी जी की तस्वीर और दूसरी तरफ लालू यादव व कर्पूरी ठाकुर की तस्वीरें छपवाई जाएँ, ताकि डॉलर के मुकाबले रुपया ऊँचा उठे और देश का विकास हो (यानी कि अधिकतम मुद्रा चारा खरीदने के काम आए 😉 )। अब जब इस तरह के प्रस्ताव आये हैं, तो मेरी भी केन्द्र सरकार से गुज़ारिश है कि मुद्रा (नोट) के एक तरफ गाँधी जी की तस्वीर तो यथावत रहे, किन्तु दूसरी तरफ मेरी तस्वीर छपवाई जाए, क्योंकि मेरी सूरत भी खराब तो नहीं ही है। मेरी दावेदारी का एक मज़बूत पक्ष यह भी है कि कल रात मुझे जो सपना आया, उसके अनुसार मैं पिछले जन्म में एक समर्पित स्वतंत्रता सैनानी था

बेरोज़गारी

     यह बीजेपी वाले खुद तो ढंग से लोगों को रोज़गार दे नहीं पा रहे हैं और जो लोग इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं, उनकी आलोचना करते रहते हैं। अब देखिये न, इस निराशा के चलते एक पार्टी के सैकड़ों लोग केवल एक आदमी को रोज़गार दिलाने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा तक गली-गली में पैदल चल कर अपने पाँव रगड़ रहे हैं। इसी तरह एक और पार्टी के कर्ता-धर्ता अपनी पुरानी रोज़ी-रोटी छिन जाने के डर से नया रोज़गार पाने के लिए गुजरात की ख़ाक छान रहे हैं। इन्हें रोज़गार मिलेगा या नहीं, यह तो ईश्वर ही जाने, किन्तु बेचारे कोशिश तो कर ही रहे हैं न! इनकी मदद न करें तो न सही, धिक्कारें तो नहीं 😏 । *****

सज्जनता का दण्ड (कहानी)

(1) हिन्द-पाक सीमा पर चौकी नं. CZ 3, संध्या-काल — सांझ का धुंधलका गहरा रहा था। स. उप निरीक्षक रामपाल सिंह एवं हैड कॉन्स्टेबल अब्दुल हनीफ़ पांच सिपाहियों के साथ इस महत्वपूर्ण चौकी पर तैनात थे। इस क्षेत्र में सीमा पर तार की बाड़बंदी नहीं थी। तीन सिपाहियों को इमर्जेन्सी के कारण एक अन्य चौकी पर भेजा गया था। इस समय चौकी पर रामपाल व हनीफ़ के अलावा केवल दो सिपाही थे। एक सिपाही खाना बना रहा था तथा हनीफ़ एक सिपाही के साथ चौकी के बाहर चारपाई पर बैठा था। आज शाम की गश्त रामपाल के जिम्मे थी, अतः वह गश्त पर बाहर निकला था। दिन के समय पाक सैनिकों के इधर आने की सम्भावना कम थी, जबकि रात होते-होते उनके द्वारा घुसपैठ किये जाने की सम्भावना बढ़ जाती थी। यह इलाका घने वृक्षों व झाड़ियों से आच्छादित था, जिन के पार देख पाना दिन में भी कठिन हुआ करता था, जबकि इस समय तो कुछ भी दिखाई देना असंभव के समान था। रामपाल अपने साथियों व अफसरों की निगाहों में निहायत ही विश्वसनीय व होशियार मुलाजिम था। सभी लोग उसकी बहादुरी के साथ ही उसकी श्रवण-शक्ति व तीव्र दृष्टि का लोहा मानते थे।  वीरानी के सन्नाटे को चीरती हुई झींगुरों की आवाज़ वा