हिंदी भाषा
किसी और की कब हो सकती है!
मेरे देश को परिभाषित करती,
हिन्दी तो स्वयं माँ सरस्वती है।
सिमटी-सी वह खड़ी धरा पर
मानो चाँद उतर आया।
पतझड़ मानो बीत चला हो,
नया बसंत निखर आया।
या ऊषा ने ली अंगडाई,
नया प्रभात उभर आया।
नदिया कोई उमड़ पड़ी या
झरना कोई झर आया।
परी एक उतरी नभ से या
कण-कण ने सौरभ पाया।
या फूल बाग़ में महक उठे,
प्यार पराग बिखर आया।
जैसे कोई निबिड़ तमस में,
दीपक एक नज़र आया।
या कोई फूलों में छुप कर,
धीमे - धीमे मुस्काया।
छवि अंकित है मन में इसकी,
मैं अभिनन्दन करता हूँ।
चित्र लिए पलकों में प्रतिपल,
इसका वन्दन करता हूँ।
माँ इसकी देवों की भाषा,
यह जननी सारे जग की।
और सभी भाषाएँ ऐसी,
'खग जाने भाषा खग की'।
इसके खातिर ही जीने की
और मरण की अभिलाषा।
नारी की तस्वीर नहीं यह,
है मेरी हिन्दी भाषा।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
"पांच लिंकों का आनन्द" के पटल पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार भाई रवीन्द्र जी! मैं अवश्य उपस्थित होऊँगा
Deleteशानदार
ReplyDeleteआभार महोदया!
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2022) को "भंग हो गये सारे मानक" (चर्चा अंक 4554) पर भी होगी।
ReplyDelete--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह!बहुत खूब!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभा जी!
Deleteचर्चा मंच के पटल पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार डॉ. शास्त्री जी! मैं अवश्यमेव उपस्थित होऊँगा
ReplyDeleteवाह! गागर में सागर भर दिया है। इन चंद पंक्तियों में हिंदी के प्रति प्रेम और भक्ति झलक रही है
ReplyDeleteबहुत आभार महोदया!
Deleteसच कहा सर आपने।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव।
सादर प्रणाम
प्रणाम आ. अनीता जी... आभार!
Deleteहिंदी के प्रति अप्रतिम भाव ।
ReplyDeleteजी, हार्दिक धन्यवाद!
Deleteभावप्रवण सुंदर लघु रचना।
ReplyDeleteहिन्दी तो स्वयं मां सरस्वती है ... बहुत खूब.
ReplyDeleteजी, धन्यवाद!
Deleteवाह !!!
ReplyDeleteबहुत लाजवाब।
हार्दिक आभार सुधा जी!
Deleteबहुत ही सुंदर भाव...
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी!
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