जिस तरह पूर्व में दिल्ली विधानसभा के लिए टिकिट नहीं मिलने से नाराज़ बिन्नी ने AAP पर अनर्गल आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी थी, ठीक उसी तरह लोकसभा के लिए टिकिट नहीं मिलने से अब तक नाराज़ शाजिया इल्मी ने AAP की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए व्यक्त किया की AAP में उनकी प्रासंगिकता समाप्त हो गई है। वैसे शाजिया की प्रासंगिकता तो उसी दिन से AAP के लिए समाप्त हो गई थी जब उन्होंने मुसलमानों को अधिक धर्मनिरपेक्ष न होने की सलाह दे डाली थी।
अच्छा है कि धीरे-धीरे और भी कचरा यदि पार्टी में बचा हुआ हो तो साफ हो जाये और पार्टी का मूल धवल स्वरुप निखर आये। शैशव अवस्था में चल रही AAP को अभी कई इम्तहानों से गुज़रना बाकी है, बाहर के दुश्मनों और भीतर के गद्दारों से जूझना बाकी है।
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