गोवा निवासी Lavu Chodankar के द्वारा मार्च में मोदी जी के विरुद्ध की गई टिप्पणी के लिए मई माह में पुलिस द्वारा केस दर्ज किया गया। यदि चुनाव-परिणाम जुलाई में आते तो शायद केस भी जुलाई में दर्ज होता। यदि चुनाव में विजय किसी और पार्टी की होती तो विजेता पार्टी का समर्थक Lavu Chodankar को पद्मश्री के लिए प्रस्तावित करता और इसके लिए कार्यवाही भी आगे बढ़ जाती। राजनीति इसी का नाम है और यह ऐसे ही चलती है।
अब पुनः इस राजनीति का शिकार बेंगलूरू का मैनेजमेंट (MBA) का छात्र सैयद वक़ार हो रहा है (जैसा कि आज के दैनिक पत्र 'राजस्थान पत्रिका' से ज्ञात हुआ)।
एक क्षण के लिए मान लेते हैं कि इनकी टिप्पणियां आपत्तिजनक रही होंगी, लेकिन इन पर ही यह वज्रपात क्यों ?
चुनाव के दौरान कई राजनैतिक दिग्गजों ने मर्यादा की सीमा तोड़कर कितनी ही बार राजनीति को शर्मसार करने वाली कई अभद्र और उल-जलूल टिप्पणियां की हैं। फेसबुक जैसे सोशियल मीडिया में शिरकत करने वाले कितने ही असभ्य लोगों ने जुबान पर नहीं लाई जा सकने वाली गली-गलौज की चवन्नी-कट भाषा का प्रयोग कर एक-दूसरे का और मोदी जी, सोनिया जी, केजरीवाल जी और डॉ मनमोहन सिंह जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों का अपमान करने में सभी सीमायें लांघ दी हैं।
होना यह चाहिए कि सभी अमर्यादित नेताओं के विरुद्ध और सोशियल मीडिया में की गई तमाम टिप्पणियों को खंगाल कर अवांछित posting करने वाले सभी उद्दंड अपराधियों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की जावे। अन्यथा तो इक्के-दुक्के को बलि का बकरा बनाना जनता को आतंकित करने का प्रयास करना ही माना जायेगा।
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