कोई यदि किसी दूसरे के अधिकार की जगह पर स्थापित हो जाये तो उसके प्रति क्रोध, आक्रोश, दुःख, घृणा, ईर्ष्या या बदले की भावना या ऐसी ही कोई अन्य प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। ऐसा ही एक भाव मेरी इस क्षणिका में...!
"ईर्ष्या"
नींद
पलकों को छूकर
चली जाती है,
हर रात
जब वह आती है,
क्योंकि-
दिल में बसी हुई
तुम्हारी तस्वीर,
उसे
मेरी आँखों में
नज़र आती है।
-----
ki
"ईर्ष्या"
नींद
पलकों को छूकर
चली जाती है,
हर रात
जब वह आती है,
क्योंकि-
दिल में बसी हुई
तुम्हारी तस्वीर,
उसे
मेरी आँखों में
नज़र आती है।
-----
ki
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें