आज सुबह-सवेरे बाज़ार निकलना हुआ। सड़क पर वाहनों का लगभग जाम ही लगा हुआ था। आगे जाकर पता लगा, दो-ढाई माह से जो सड़कें टूटी-फूटी पड़ी थीं, उनकी सुध ली गई है, सुधारा जा रहा है। मन आश्वस्त हुआ कि चलो अब सड़क पर रीढ़ की हड्डी पर बिना जर्क खाए वाहन चलाया जा सकेगा, किसी के वाहन भी अब नहीं गिरेंगे।
जहाँ यह विचार चल रहां था, एक और विचार दिमाग में उभर आया। अभी सुधारी जाने के बाद वर्षा ऋतु के उपरान्त इन सड़कों का पुनः उद्धार किया जायगा और यह सिलसिला यथावत यूँ ही हर वर्ष चलता रहेगा। सड़क का काम करवाने वाली सरकारी/ गैरसरकारी संस्थाओं को इस तरह का यह काम वर्ष में केवल एक बार मिलता है। अब बारिश पर तो कोई वश है नहीं क्योंकि वह वार्षिक क्रम से ही आती है, लेकिन यदि सड़क-निर्माण की गुणवत्ता को थोड़ा और कमज़ोर करवा दिया जाय तो इन संस्थाओं को वर्ष में एक से अधिक बार काम मिल सकेगा।
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