अन्ना जी के रूप में आई राजनैतिक परिवर्तन की आंधी अब थम चुकी है। दिशाहीनता के कारण अन्ना जी की प्रासंगिकता पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है। देश की जनता दिग्भ्रमित है और राजनीति में स्वच्छता अब भी मृग-मरीचिका बनी हुई है। निर्भीक रावण शक्ति-प्रदर्शन कर रहे हैं और राम (जनता) ने अपने लिए शस्त्रविहीनता के विकल्प का चयन किया हुआ है।
हर कोई जप रहा है- 'होइहु कोउ नृप, हमें का हानि'…लेकिन हानि होगी और पीढ़ियों को बर्बाद कर देगी, अगर समय रहते नहीं जागे तो।
अन्ना जी की अभी की हक़ीकत बयान करता राजस्थान पत्रिका, दि. 24-2-14 के 'मिर्च मसाला' से लिया गया कॉलम -

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