पढ़ने-सुनने में आता है कि राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ राजनीति से स्वयम् को परे रखता है, फिर इसके सदस्य इन्द्रेश कुमार यह क्या कह गए ? राजस्थान पत्रिका, दि. 12-2-14 में पृष्ठ 14 पर प्रकाशित एक समाचार के अनुसार जोधपुर में कल एक गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में इन्द्रेश जी ने मुसलमानों को हिंदुस्तान का मालिक बता दिया। भाई इंद्रेश जी, क्या आप धतूरा खा के बोल रहे थे ? भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है और जब यहाँ के बहुसंख्यक हिन्दू ही देश के मालिक नहीं हैं तो मुसलमान भला इस देश के मालिक कैसे हो गए ? पता नहीं इन्द्रेश जी ने यह कुटिल राजनैतिक वक्तव्य क्योंकर दिया, लेकिन उनका यह दिमागी दिवालियापन आर.एस.एस. की प्रतिष्ठा को आँच पहुंचाने वाला अवश्य है।
“Mother’s day” के नाम से मनाये जा रहे इस पुनीत पर्व पर मेरी यह अति-लघु लघुकथा समर्पित है समस्त माताओं को और विशेष रूप से उन बालिकाओं को जो क्रूर हैवानों की हवस का शिकार हो कर कभी माँ नहीं बन पाईं, असमय ही काल-कवलित हो गईं। ‘ऐसा क्यों’ आकाश में उड़ रही दो चीलों में से एक जो भूख से बिलबिला रही थी, धरती पर पड़े मानव-शरीर के कुछ लोथड़ों को देख कर नीचे लपकी। उन लोथड़ों के निकट पहुँचने पर उन्हें छुए बिना ही वह वापस अपनी मित्र चील के पास आकाश में लौट आई। मित्र चील ने पूछा- “क्या हुआ, तुमने कुछ खाया क्यों नहीं ?” “वह खाने योग्य नहीं था।”- पहली चील ने जवाब दिया। “ऐसा क्यों?” “मांस के वह लोथड़े किसी बलात्कारी के शरीर के थे।” -उस चील की आँखों में घृणा थी। **********
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