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राजनीति का गिरता स्तर



विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने नरेन्द्र मोदी (बीजेपी) के लिए निहायत ही अभद्र (लेखन योग्य नहीं) शब्द का प्रयोग किया और इस बेहूदगी के लिए उन्हें कोई अनुताप भी नहीं है । इस वाकिये पर सब लोग 'थू-थू' कर ही रहे थे कि नपा-तुला बोलने के लिए जाना जाने वाले म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कुछ ऐसी ही अभद्रता कर डाली। मोदी और राहुल गांधी की तुलना करते हुए उन्होंने मोदी को 'मूंछ का बाल' तो राहुल को 'पूँछ का बाल' कह दिया। भाई शिवराज जी, आपने शहजादे (आपकी जमात तो यही नाम देती है राहुल को) की शान में ऐसी गुस्ताखी कैसे कर डाली ?
    राजनीति में शालीनता के आदर्श उदाहरण स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद, स्व. लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी बाजपेयी जैसे कुछ महान नेताओं के बाद अब तो छिछलापन ही छिछलापन रह गया है। आज राजनीति में शुचिता दिया लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलती। 
   राजनीति के मैदान में उतरने के बाद जो बिछात लगाई जाती है उसमें कई तरह की पैंतरेबाजी होती है, आलोचना-प्रत्यालोचनाएं होती हैं, एक-दूसरे की खामियाँ भी उधेड़ी जाती हैं, लेकिन राजनीतिबाज जब सामान्य शिष्टता को भूल कर बहशियाना हरकतें करने लगते हैं तो उनमें नेता को तलाशना तो सम्भव है ही नहीं। शोचनीय स्थिति है यह, क्या देंगे यह लोग समाज को और देश को ? 
   

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