पेश हैं मेरी दो नई रचनायें मेरे दोस्तों...
बेवफ़ा तेरी बेवफ़ाई का,
कब तुझसे हमने शिकवा किया है,
उम्मीदेवफ़ा में जिए जायेंगे क़यामत तक,
गर ज़िन्दगी ने हमें धोखा न दिया।
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आरज़ू हो तुम, मेरी चाहत हो, दिल का इक अरमान हो तुम।
ज़र्रा नहीं हो, सितारा नहीं हो, मेरे लिए, मेरी जां हो तुम।
बेवफ़ा तेरी बेवफ़ाई का,
कब तुझसे हमने शिकवा किया है,
उम्मीदेवफ़ा में जिए जायेंगे क़यामत तक,
गर ज़िन्दगी ने हमें धोखा न दिया।
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आरज़ू हो तुम, मेरी चाहत हो, दिल का इक अरमान हो तुम।
ज़र्रा नहीं हो, सितारा नहीं हो, मेरे लिए, मेरी जां हो तुम।
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