'कौन बनेगा करोड़पति'
जी हाँ, मैं अमिताभ बच्चन जी के हाल ही समाप्त हुए शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के विषय में अपने कुछ विचार रखने जा रहा हूँ। इस बार के शो को मैं पिछले लगभग एक माह से देख रहा था।
मित्रों, आपने भी सब नहीं तो, कुछ एपिसोड तो देखे ही होंगे। वैसे तो इस महानायक या इस लोकप्रिय शो के विषय में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के सामान है, पर मेरा भी अपना स्वतन्त्र व्यक्तित्व है सो कुछ कहने का
अधिकार तो मुझे मिलना ही चाहिए, अतः कहूँगा और अवश्य कहूँगा। मैं यह भी जानता हूँ कि मेरे कथ्य के कुछ भाग से कुछ लोग सहमत नहीं होंगे लेकिन तथ्यान्वेषण की दृष्टि रखने वाले महानुभावों से मेरा अनुरोध है कि मेरी बात पर मनन अवश्य करें।
यह शो सामान्य ज्ञान विषयक योग्यता के आधार पर प्रतिभागी को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित किया गया उद्देश्यपरक शो है, लेकिन इसमें निम्नांकित कुछ बिन्दु ऐसे हैं जो इसको एक 'आदर्श प्रस्तुति' कहलाने में बाधक हैं।
1) इस शो में प्रतियोगी के रूप में चयन के लिए व्यक्ति का भाग्यशाली होना आवश्यक है क्योंकि चयन योग्यता के आधार पर नहीं होता। (हाँ, 'हॉट सीट' पर पहुँचने के लिए अवश्य ही 'finger first' वाली योग्यता चाहिए।)
2) पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्तर एक समान नहीं होता। किसी प्रतिभागी से तो प्रारम्भिक पांच-छः प्रश्नों तक बहुत ही सरल प्रश्न पूछ लिए जाते थे तो किसी से पहले पांच प्रश्नों में ही दो-तीन कठिन प्रश्न पूछ लेते थे। परिणामतः यहाँ भी भाग्य अपना खेल खेल जाता है। यद्यपि प्रश्न कम्प्यूटर से आते हैं पर कम्प्यूटर में प्रश्नों को समावेशित करते समय एकरूपता के तत्व को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए।
3) प्रश्नों के हिन्दी-रूपांतरण में कभी-कभी अशुद्धि कर दी जाती है, जिससे प्रश्न अपना अर्थ खो देता है, यथा,
एक प्रश्न में उत्तर के चारों विकल्प सही नहीं थे (जैसे कि, अंग्रेजी में लिखा था- 'Shiv to Parvati' और इसे हिंदी में लिखा था- 'शिव ने पार्वती के लिए', जबकि होना चाहिये था- 'शिव पार्वती को'। ठीक ऐसी ही अशुद्धि अन्य तीन विकल्पों में भी थी)। यह प्रश्न अंग्रेजी में तो सही था पर उसके हिंदी रूपांतरण में भी वैसी ही गलती थी।
एक अन्य प्रश्न (वामन अवतार और राजा बलि से सम्बंधित) में भी भूल की गई थी। ऐसी भूलों का परिणाम हानि के रूप में प्रतिभागी को भुगतना पड़ता है।
4) कई प्रतिभागी अमित जी की प्रशंसा में इतने कसीदे पढ़ देते थे कि पराकाष्ठा ही हो जाती है। यह भी कि अधिकांश प्रतिभागी 'हॉट सीट' पर आकर उत्तम विचारधारा वाले, आदर्श मानव बन जाते हैं और अपने द्वारा जीती हुई राशि का एक बड़ा भाग परोपकार के लिए व्यय करने की बातें भी करते हैं (सम्भव है इक्के-दुक्के लोग सच में ही ऐसा चाहते हों)। कभी-कभी अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव अमित जी पर भी पड़ता ही है (अन्ततोगत्वा वह मनुष्य ही तो हैं ) और ऐसा, उत्तर को lock करने के पूर्व प्रतियोगी के साथ उनके वार्तालाप में देखा जा सकता था कि किस प्रकार से किसी-किसी प्रतियोगी को उत्तर lock कराने में अप्रत्यक्ष सहायता मिल जाती थी। यद्यपि यह सही है कि प्रतियोगियों के ऐसे क्रिया-कलाप में शो-मैनेजमेंट का कोई प्रत्यक्ष उत्तरदायित्व नहीं होता।
5) कुछ प्रतियोगियों व उनके सम्बन्धियों से अमित जी इतनी लम्बी बातचीत करते थे कि वह कभी-कभी ऊबाऊ हो जाती थी और यह भी कि प्रतीक्षा कर रहे उस दिन के प्रतियोगियों में से किन्हीं एक-दो के अवसर को भी समाप्त करती थी।
6) प्राप्त जानकारी के अनुसार इस शो में प्रति एपिसोड अमित जी को तीन करोड़ रुपया मिलता था। ( रियलिटी शो 'बिग बॉस' में सलमान को प्रति एपिसोड इससे भी बड़ी राशि दस करोड़ मिलती है।) इतना बड़ा पारिश्रमिक भारत जैसे देश में, जहाँ लाखों लोगों को दो समय भरपेट भोजन भी नहीं मिलता, कितना औचित्यपूर्ण है ? यद्यपि यह लेन-देन सरकारी स्तर पर नहीं है, पर फिर भी इतनी धन-राशि सहज ही लुटाने वाले व्यक्ति/ संस्था की मानवीय और सामाजिक समझ क्यों सुषुप्त है? उनके पास उपलब्ध धनराशि का उपयोग देश और जनता के हित में भी तो किया जा सकता है।
तो मित्रों, यह आंकलन मेरा है। आप क्या सोचते हैं, कहते हैं - अवश्य जानना चाहूँगा।
जी हाँ, मैं अमिताभ बच्चन जी के हाल ही समाप्त हुए शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के विषय में अपने कुछ विचार रखने जा रहा हूँ। इस बार के शो को मैं पिछले लगभग एक माह से देख रहा था।
मित्रों, आपने भी सब नहीं तो, कुछ एपिसोड तो देखे ही होंगे। वैसे तो इस महानायक या इस लोकप्रिय शो के विषय में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के सामान है, पर मेरा भी अपना स्वतन्त्र व्यक्तित्व है सो कुछ कहने का
अधिकार तो मुझे मिलना ही चाहिए, अतः कहूँगा और अवश्य कहूँगा। मैं यह भी जानता हूँ कि मेरे कथ्य के कुछ भाग से कुछ लोग सहमत नहीं होंगे लेकिन तथ्यान्वेषण की दृष्टि रखने वाले महानुभावों से मेरा अनुरोध है कि मेरी बात पर मनन अवश्य करें।
यह शो सामान्य ज्ञान विषयक योग्यता के आधार पर प्रतिभागी को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित किया गया उद्देश्यपरक शो है, लेकिन इसमें निम्नांकित कुछ बिन्दु ऐसे हैं जो इसको एक 'आदर्श प्रस्तुति' कहलाने में बाधक हैं।
1) इस शो में प्रतियोगी के रूप में चयन के लिए व्यक्ति का भाग्यशाली होना आवश्यक है क्योंकि चयन योग्यता के आधार पर नहीं होता। (हाँ, 'हॉट सीट' पर पहुँचने के लिए अवश्य ही 'finger first' वाली योग्यता चाहिए।)
2) पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्तर एक समान नहीं होता। किसी प्रतिभागी से तो प्रारम्भिक पांच-छः प्रश्नों तक बहुत ही सरल प्रश्न पूछ लिए जाते थे तो किसी से पहले पांच प्रश्नों में ही दो-तीन कठिन प्रश्न पूछ लेते थे। परिणामतः यहाँ भी भाग्य अपना खेल खेल जाता है। यद्यपि प्रश्न कम्प्यूटर से आते हैं पर कम्प्यूटर में प्रश्नों को समावेशित करते समय एकरूपता के तत्व को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए।
3) प्रश्नों के हिन्दी-रूपांतरण में कभी-कभी अशुद्धि कर दी जाती है, जिससे प्रश्न अपना अर्थ खो देता है, यथा,
एक प्रश्न में उत्तर के चारों विकल्प सही नहीं थे (जैसे कि, अंग्रेजी में लिखा था- 'Shiv to Parvati' और इसे हिंदी में लिखा था- 'शिव ने पार्वती के लिए', जबकि होना चाहिये था- 'शिव पार्वती को'। ठीक ऐसी ही अशुद्धि अन्य तीन विकल्पों में भी थी)। यह प्रश्न अंग्रेजी में तो सही था पर उसके हिंदी रूपांतरण में भी वैसी ही गलती थी।
एक अन्य प्रश्न (वामन अवतार और राजा बलि से सम्बंधित) में भी भूल की गई थी। ऐसी भूलों का परिणाम हानि के रूप में प्रतिभागी को भुगतना पड़ता है।
4) कई प्रतिभागी अमित जी की प्रशंसा में इतने कसीदे पढ़ देते थे कि पराकाष्ठा ही हो जाती है। यह भी कि अधिकांश प्रतिभागी 'हॉट सीट' पर आकर उत्तम विचारधारा वाले, आदर्श मानव बन जाते हैं और अपने द्वारा जीती हुई राशि का एक बड़ा भाग परोपकार के लिए व्यय करने की बातें भी करते हैं (सम्भव है इक्के-दुक्के लोग सच में ही ऐसा चाहते हों)। कभी-कभी अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव अमित जी पर भी पड़ता ही है (अन्ततोगत्वा वह मनुष्य ही तो हैं ) और ऐसा, उत्तर को lock करने के पूर्व प्रतियोगी के साथ उनके वार्तालाप में देखा जा सकता था कि किस प्रकार से किसी-किसी प्रतियोगी को उत्तर lock कराने में अप्रत्यक्ष सहायता मिल जाती थी। यद्यपि यह सही है कि प्रतियोगियों के ऐसे क्रिया-कलाप में शो-मैनेजमेंट का कोई प्रत्यक्ष उत्तरदायित्व नहीं होता।
5) कुछ प्रतियोगियों व उनके सम्बन्धियों से अमित जी इतनी लम्बी बातचीत करते थे कि वह कभी-कभी ऊबाऊ हो जाती थी और यह भी कि प्रतीक्षा कर रहे उस दिन के प्रतियोगियों में से किन्हीं एक-दो के अवसर को भी समाप्त करती थी।
6) प्राप्त जानकारी के अनुसार इस शो में प्रति एपिसोड अमित जी को तीन करोड़ रुपया मिलता था। ( रियलिटी शो 'बिग बॉस' में सलमान को प्रति एपिसोड इससे भी बड़ी राशि दस करोड़ मिलती है।) इतना बड़ा पारिश्रमिक भारत जैसे देश में, जहाँ लाखों लोगों को दो समय भरपेट भोजन भी नहीं मिलता, कितना औचित्यपूर्ण है ? यद्यपि यह लेन-देन सरकारी स्तर पर नहीं है, पर फिर भी इतनी धन-राशि सहज ही लुटाने वाले व्यक्ति/ संस्था की मानवीय और सामाजिक समझ क्यों सुषुप्त है? उनके पास उपलब्ध धनराशि का उपयोग देश और जनता के हित में भी तो किया जा सकता है।
तो मित्रों, यह आंकलन मेरा है। आप क्या सोचते हैं, कहते हैं - अवश्य जानना चाहूँगा।
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