पगली, वह प्रेमी पगला जो,
आहें भरता रहता है।
तोड़ तारे आसमान से,
ला चरणों में धर दूंगा।
कह दो तो कूदूँ सागर में,
पर्वत के टुकड़े कर दूंगा।
पर पिक्चर की बात करो ना,
यह कुछ मुश्किल लगता है।
पगली, वह....
एक नहीं, मैं कई-कई से,
प्यार जताया करता हूँ।
पर उनकी आँखों में सचमुच,
तुमको पाया करता हूँ।
वह झूठा है, पाखण्डी है,
जो राम बना फिरता है।
पगली, वह....
मत ठुकराना कभी मुझे तुम,
तुम भारत की नारी हो।
राही हैं हम एक राह के,
मैं ड्राइवर, तुम लारी हो।
ड्राइवर कहीं बदल न जाये,
डर यही सदा रहता है।
पगली, वह…
जब लिखने लगता हूँ कविता,
तुम शोर किया करती हो,
दिन कटता ना कटती रातें,
जब बोर किया करती हो।
तुमसे वह साथी अच्छा जो,
चाय पिलाया करता है।
पगली, वह…
तुम जान मुझसे मांगती हो,
यह कैसी है नादानी ?
और किसी को अपनाने की,
क्या अपने मन में ठानी ?
दुनिया जिसने देखी ना हो,
वह मान लिया करता है।
पगली वह…
प्रिय, देखो तुम मर ना जाना,
कफ़न कहाँ से लाऊंगा ?
कहाँ से लाकर, तेरे शव पर,
सुन्दर फूल चढ़ाऊंगा ?
बिना कराये अपना बीमा,
यूँ कोई मरा करता है ?
पगली, वह...
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