उफ़्फ़! कितना ह्रदय-विदारक था वह अहसास, रूह तक को कंपा देने वाला !
टैक्सास (अमेरिका ) में भयंकर तूफ़ान आया, विराट कोहली ने दोहरा शतक बनाया, बाबा राम रहीम को बलात्कार के जुर्म में बीस साल की कैद की सज़ा हो गई, यह ख़बरें अख़बार की सुर्खियाँ बन जाती हैं, लेकिन मुझे पता है मेरे साथ हुए प्राणान्तक हादसे को कोई तवज्जो नहीं देगा क्योंकि मैं एक आम आदमी हूँ, मेरी कोई पहुँच नहीं है।
तो मैं आपको बताऊँ कि मेरे साथ आज क्या गुज़री! आज सुबह जैसे ही मैं वॉशरूम में गया और नहाने के लिए नल (tap) खोला, बदन पर तीरों की बौछार पड़ी। हाँ, तीरों की बौछार ही तो थी यह क्योंकि यह सब अप्रत्याशित रूप से हुआ था। दरअसल नल का सिरा पहले से ही शॉवर वाली दिशा की तरफ था और ऑन करते ही अचानक जबरदस्त ठण्डे पानी की बौछार तीर की मानिन्द मेरे बदन पर पड़ी, वरना तो मैं धीरे-धीरे नहाने की ओर कदम बढ़ाता।...काँप उठी थी मेरी आत्मा !
तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के चलते छत की टंकी का पानी बर्फ़ीला हो चला था और ऐसे बर्फ़ीले ठण्डे पानी से नहाने की पीड़ा वही जान सकता है जिसने इसे भुगता हो। पिछले एक सप्ताह से गीज़र ठीक करने वाले को फोन करता रहा था पर वह आ ही नहीं रहा है, जबकि मेरी तरफ उसका कुछ भी बकाया नहीं है। मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो गरमी के मौसम में भी गर्म पानी से नहाते हैं लेकिन जुलाई माह के बाद ठण्डे पानी से नहाने वाले लोग तो कुछ मजबूर किस्म के लोग ही हो सकते हैं।
मैंने अपने साथ हुए हादसे को जगजाहिर कर दिया है पर जानता हूँ कि कोई इसे तवज्जो नहीं देगा क्योंकि मैं एक आम आदमी हूँ, मेरी कोई पहुँच नहीं है।
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टैक्सास (अमेरिका ) में भयंकर तूफ़ान आया, विराट कोहली ने दोहरा शतक बनाया, बाबा राम रहीम को बलात्कार के जुर्म में बीस साल की कैद की सज़ा हो गई, यह ख़बरें अख़बार की सुर्खियाँ बन जाती हैं, लेकिन मुझे पता है मेरे साथ हुए प्राणान्तक हादसे को कोई तवज्जो नहीं देगा क्योंकि मैं एक आम आदमी हूँ, मेरी कोई पहुँच नहीं है।
तो मैं आपको बताऊँ कि मेरे साथ आज क्या गुज़री! आज सुबह जैसे ही मैं वॉशरूम में गया और नहाने के लिए नल (tap) खोला, बदन पर तीरों की बौछार पड़ी। हाँ, तीरों की बौछार ही तो थी यह क्योंकि यह सब अप्रत्याशित रूप से हुआ था। दरअसल नल का सिरा पहले से ही शॉवर वाली दिशा की तरफ था और ऑन करते ही अचानक जबरदस्त ठण्डे पानी की बौछार तीर की मानिन्द मेरे बदन पर पड़ी, वरना तो मैं धीरे-धीरे नहाने की ओर कदम बढ़ाता।...काँप उठी थी मेरी आत्मा !
तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के चलते छत की टंकी का पानी बर्फ़ीला हो चला था और ऐसे बर्फ़ीले ठण्डे पानी से नहाने की पीड़ा वही जान सकता है जिसने इसे भुगता हो। पिछले एक सप्ताह से गीज़र ठीक करने वाले को फोन करता रहा था पर वह आ ही नहीं रहा है, जबकि मेरी तरफ उसका कुछ भी बकाया नहीं है। मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो गरमी के मौसम में भी गर्म पानी से नहाते हैं लेकिन जुलाई माह के बाद ठण्डे पानी से नहाने वाले लोग तो कुछ मजबूर किस्म के लोग ही हो सकते हैं।
मैंने अपने साथ हुए हादसे को जगजाहिर कर दिया है पर जानता हूँ कि कोई इसे तवज्जो नहीं देगा क्योंकि मैं एक आम आदमी हूँ, मेरी कोई पहुँच नहीं है।
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