मेरे अच्छे दोस्तों (fb के भीतर व बाहर के, दोनों ही) !
जितना भी मेरे मन में आप सब के लिए प्यार है उसको एकबारगी अपनी पूरी शक्ति से एकत्र कर आपको समर्पित करते हुए पूरी नम्रता के साथ अपनी भावना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। कृपया पूर्वाग्रहों से मुक्त हो मेरे कथन को पढ़ें, समझें व इस पर मनन करें।
मित्रों, शहर में, देश में, जब हिन्दू-मुसलमानों को आपस में लड़ते-झगड़ते देखता हूँ, fb पर एक-दूसरे के विरुद्ध कटुता फैलाते देखता हूँ तो मेरा मन रो पड़ता है। सोचिये, हम भारतवासियों को अनगिनत शहीदों के जीवन की कीमत चुकाने पर कितने ही युगों की पराधीनता के बाद स्वतन्त्रता की सांसें नसीब हुई हैं। उन शहीदों में हिन्दू भी थे तो मुसलमान भी। मुग़ल साम्राज्य से लेकर अंग्रेजों के शासनकाल तक के समय में हिन्दू और मुस्लिम इस कदर आपस में मिले-जुले रहे हैं कि कुछ अपवादों के अलावा कहा जा सकता है कि भाइयों की तरह ही रहे हैं। जहाँ तक झगड़ने की बात है क्या भाइयों में झगड़ा नहीं होता ?
दोनों सम्प्रदायों के लोगों की भाषा और संस्कृति भी इस कदर घुल-मिल गई है कि अब अलगाव कर पाना सम्भव नहीं है। जब हमने एक-दूसरे के पहनावे को और खान-पान व रहन-सहन की तहजीब को भी अपना लिया है तो धर्म के नाम पर इतना अलगाव और घृणा क्यों ?
हम लोग कवि-सम्मेलन में कविताओं से जितना आनंद लेते हैं उतने ही जोशो-खरोश के साथ क्या मुशायरों का लुत्फ़ नहीं उठाते ? क्या उर्दू भाषा की मिठास को, जो आज हिंदी भाषा में घुल चुकी है, अलग करना चाहेंगे, अलग कर सकेंगे हम ?
देश की सीमा पर लड़ने वाला सैनिक, भारतीय न होकर क्या हिन्दू या मुसलमान होता है ?
अच्छे और बुरे लोग भी दोनों ही समुदायों में पैदा होते रहे हैं। पृथ्वीराज चौहान और अबुल कलम आज़ाद, जैसे देश-भक्त हमारे देश में पैदा हुए हैं तो जयचन्द और मीर जाफर, जैसे गद्दार भी तो पैदा हुए हैं।
कुछ मुस्लिम भाई 'वंन्दे मातरम्' कहने से परहेज़ करते हैं। क्या जिस माँ (मादरे वतन) के आँचल में पल कर बड़े होते हैं उसको नमन करना किसी मज़हब में मना है? नहीं भाई, ऐसा नहीं है। धर्म के ठेकेदार तथाकथित धर्मगुरु,चाहे वह स्वामी हों या मुल्ला- यदि धार्मिक उन्माद फ़ैलाने का प्रयास करते हैं तो अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग कर उन्हें नकार दें, उनका तिरस्कार करें। वह आपके हितैषी नहीं हैं मित्रों !
स्मरण रहे, प्रातः स्मरणीय सर्वश्री सरदार पटेल, सुभाष चन्द्र बोस, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी बाजपेयी के इस देश में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और डॉ. अब्दुल कलाम (मिसाइल मैन) जैसी विभूतियां भी तो हुई हैं।
यह देश हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,सभी का है। सभी का इस पर अधिकार है और सभी पर इसकी रक्षा का दायित्व है। हम सब इस देश से प्यार करते हैं, इसी के लिए जीएंगे हम और मरेंगे भी तो इसी के लिए।
सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
अर्थात-
सब लोग सुखी हों, सभी निरोग रहें, सभी का कल्याण हो (यह भाव रहे) और किसी को कोई कष्ट न हो।
वन्दे मातरम् ! जय हिन्द !
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