कहते हैं इस धरती पर भगवान कई रूपों में मिल जाता है, ठीक उसी तरह शैतान भी अलग-अलग रूपों में कई चेहरों के पीछे छिपा नज़र आता है। इसका नज़ारा इस चुनावी माहौल में हाल के दिनों में खूब ही देखने को मिला है। चन्द दिनों की बात है, कॉन्ग्रेसी नेता इमरान मसूद ने भाजपा के नरेंद्र मोदी की बोटी-बोटी काटने का प्रलाप किया था, इसके कुछ ही समय बाद सपा के मुलायम सिंह बलात्कारियों पर नरमी की वकालत कर जनता की थू-थू का पात्र बने थे और अब भाजपा (बिहार) नेता गिरिराज सिंह ने भी एक घृणित, आतंककारी बयान दिया है कि मोदी का विरोध करने वालों को पाकिस्तान जाना होगा। ऐसा कहते वक्त उन्होंने ऐसी कोई वसीयत भी नहीं दिखाई जिसमें भारत देश के पौराणिक किसी सम्प्रभु स्वामी ने इस देश की जागीर उनके नाम कर दी हो।
उपरोक्त बयान देकर गिरिराज सिंह ने सम्भवतः मोदी जी (यदि PM बनते हैं) के मंत्रिमण्डल में स्थान तलाशने का प्रयास किया है, लेकिन वस्स्तुतः तो उन्होंने मोदी जी और भाजपा दोनों का ही अहित किया है। यही नहीं, उन्होंने उक्त कुटिल वक्तव्य से स्वयं अपना भी अहित ही किया है। तानाशाही सोच वाले ऐसे लोगों के कारण ही भाजपा अपने बूते अभी तक केन्द्रीय सत्ता के आस-पास भी नहीं फटक सकी है।
भारतीय संस्कृति में असहिष्णुता और दमन के लिए कोई स्थान नहीं है। नादिरशाह, तैमूरलंग, चंगेजखान, गजनवी, गौरी, सिकन्दर और अंत में अंग्रेजों ने भारत और भारतीयों को कुचलना-मसलना चाहा लेकिन अन्ततोगत्वा उल्टे मुँह सभी को लौटना ही पड़ा। अब भी देवताओं की इस भूमि पर यदि किसी तानाशाही सोच ने जन्म लिया तो ऐसे विषधर का फन कुचल कर रख देगी यहाँ की जनता और फिर उसका कोई नामलेवा भी नहीं रहेगा।
अवश्य ही गिरिराज सिंह के कुछ साथी वही लीपा-पोती का हथियार अपना कर कह सकते हैं- ' गिरिराज सिंह के कहने का यह मतलब नहीं था, यह सब तो मीडिया ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।'
भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि गिरिराज सिंह को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से तुरत बर्खास्त करे, अन्यथा जनता तो अंतिम शक्ति है ही। जय भारत !
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