सड़ी-गली व्यवस्था में सुखद परिवर्तन की बयार ( हवा ) भी कुछ लोगों के जुकाम का कारण बन जाती है और प्रारम्भ हो जाता है विरोध और मीन-मेख निकालने का नया सिलसिला। सही नेतृत्व का अनुसरण प्रारम्भ में बुद्धिमान लोग करते हैं, लेकिन यथास्थितिवादियों को भी कालान्तर में उनके पीछे चलना ही होता है। अतः हर अवरोध से अविचलित रह कर कर्म-पथ पर निरंतर चलते रहना ही श्रेयस्कर है, वांछनीय है। बढ़ते चलें, बढ़ते चलें, बढ़ते चलें.....
सड़ी-गली व्यवस्था में सुखद परिवर्तन की बयार ( हवा ) भी कुछ लोगों के जुकाम का कारण बन जाती है और प्रारम्भ हो जाता है विरोध और मीन-मेख निकालने का नया सिलसिला। सही नेतृत्व का अनुसरण प्रारम्भ में बुद्धिमान लोग करते हैं, लेकिन यथास्थितिवादियों को भी कालान्तर में उनके पीछे चलना ही होता है। अतः हर अवरोध से अविचलित रह कर कर्म-पथ पर निरंतर चलते रहना ही श्रेयस्कर है, वांछनीय है। बढ़ते चलें, बढ़ते चलें, बढ़ते चलें.....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें