'AAP' के सदस्यों के विरुद्ध झूठी-सच्ची बातें प्रसारित कर उन्हें आलोचना का केंद्र-बिंदु बनाने की हौड़-सी मची हुई है इन दिनों विरोधियों में। विपक्षियों ने बिन्नी जैसे अभद्र एवं महत्तवाकांक्षी व्यक्ति के सम्बन्ध में केजरीवाल जी के दो बयानों को विरोधाभासी बताकर खूब बवाल मचाया। केवल दो-चार व्यक्तियों को छोड़कर जनता से उभरे कुछ नेताओं से बनी नई पार्टी की सरकार में आपस में कुछ असहमति के क्षण आ सकते हैं जो यदा-कदा मनमुटाव का रूप भी ले सकते हैं। मामलों को निपटने के लिए कभी-कभी कूटनीतिक व राजनीतिक वक्तव्य जारी करना पार्टी-हित में ही नहीं शासन-हित में भी ज़रूरी हो जाता है। क्या हमने अपने और केवल अपने हित में अपनी ही कही बात से बदल जाने की प्रवृत्ति अभी तक की स्थापित पार्टियों के नेताओं में नहीं देखी-सुनी ? इस विषय में हम इकतरफा सोच क्यों रखें ? जहाँ तक केजरीवाल जी का प्रश्न है, बिना किसी विपरीत प्रमाण के उनके व्यकित्व व आचरण के प्रति संदेह व्यक्त किया जाना न्यायोचित होगा ? एक पुराना आईआईटीयन जो अतिरिक्त आयुक्त, आयकर जैसे पद को छोड़कर जनता के बीच उसका दर्द बांटने चला आया, जो देश में किसी कम्पनी में काम करता तो कम से कम पचास-साठ लाख रुपये और विदेश में कम से कम दो करोड़ रु. ( लगभग तीन लाख डॉलर ) सालाना कमा सकता था। उसे ईमानदार कैसे नहीं कहेंगे जो सत्ता-लिप्सा से परे है, जिसका सादगीभरा आचरण विपक्षी पार्टियों के लिए अनुकरणीय बन गया है, जिसने सभी सुख-सुविधाओं के आकर्षण को तिलांजलि देकर प्रशासनिक कार्यों की उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित किये हैं। हालात तो यह हैं कि भव्य महलनुमा सरकारी बंगलों में रहने वाले दूसरी पर्टियों के नेताओं के अनुयायियों को केजरीवाल जी के द्वारा पांच कमरों का मकान लिया जाना भी आँख की किरकिरी बन रहा था, फलतः केजरीवाल जी ने वह भी ग्रहण नहीं किया। हाल ही की खबर है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, रमन सिंह के लिए 81 करोड़ रु. का बंगला बन रहा है। केजरीवाल एक नए युग का पथ-प्रदर्शक बन कर आया है, किसी भी अन्य राजनीतिज्ञ की महत्वकांक्षा की राह का रोड़ा बनकर नहीं। सोचो मित्रों, सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सोचो, क्या यह सब-कुछ गलत है। हाँ, एक बात मैं अवश्य कहूँगा कि 'AAP' को अभी केंद्र-शासन में आने की जल्दी नहीं करनी चाहिए, इसके लिए अभी और अधिक सुदृढ़ आधार बनाने का प्रयास उन्हें करना चाहिए। तब तक विपक्षी कुछ और कसरत कर लें।
'AAP' के सदस्यों के विरुद्ध झूठी-सच्ची बातें प्रसारित कर उन्हें आलोचना का केंद्र-बिंदु बनाने की हौड़-सी मची हुई है इन दिनों विरोधियों में। विपक्षियों ने बिन्नी जैसे अभद्र एवं महत्तवाकांक्षी व्यक्ति के सम्बन्ध में केजरीवाल जी के दो बयानों को विरोधाभासी बताकर खूब बवाल मचाया। केवल दो-चार व्यक्तियों को छोड़कर जनता से उभरे कुछ नेताओं से बनी नई पार्टी की सरकार में आपस में कुछ असहमति के क्षण आ सकते हैं जो यदा-कदा मनमुटाव का रूप भी ले सकते हैं। मामलों को निपटने के लिए कभी-कभी कूटनीतिक व राजनीतिक वक्तव्य जारी करना पार्टी-हित में ही नहीं शासन-हित में भी ज़रूरी हो जाता है। क्या हमने अपने और केवल अपने हित में अपनी ही कही बात से बदल जाने की प्रवृत्ति अभी तक की स्थापित पार्टियों के नेताओं में नहीं देखी-सुनी ? इस विषय में हम इकतरफा सोच क्यों रखें ? जहाँ तक केजरीवाल जी का प्रश्न है, बिना किसी विपरीत प्रमाण के उनके व्यकित्व व आचरण के प्रति संदेह व्यक्त किया जाना न्यायोचित होगा ? एक पुराना आईआईटीयन जो अतिरिक्त आयुक्त, आयकर जैसे पद को छोड़कर जनता के बीच उसका दर्द बांटने चला आया, जो देश में किसी कम्पनी में काम करता तो कम से कम पचास-साठ लाख रुपये और विदेश में कम से कम दो करोड़ रु. ( लगभग तीन लाख डॉलर ) सालाना कमा सकता था। उसे ईमानदार कैसे नहीं कहेंगे जो सत्ता-लिप्सा से परे है, जिसका सादगीभरा आचरण विपक्षी पार्टियों के लिए अनुकरणीय बन गया है, जिसने सभी सुख-सुविधाओं के आकर्षण को तिलांजलि देकर प्रशासनिक कार्यों की उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित किये हैं। हालात तो यह हैं कि भव्य महलनुमा सरकारी बंगलों में रहने वाले दूसरी पर्टियों के नेताओं के अनुयायियों को केजरीवाल जी के द्वारा पांच कमरों का मकान लिया जाना भी आँख की किरकिरी बन रहा था, फलतः केजरीवाल जी ने वह भी ग्रहण नहीं किया। हाल ही की खबर है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, रमन सिंह के लिए 81 करोड़ रु. का बंगला बन रहा है। केजरीवाल एक नए युग का पथ-प्रदर्शक बन कर आया है, किसी भी अन्य राजनीतिज्ञ की महत्वकांक्षा की राह का रोड़ा बनकर नहीं। सोचो मित्रों, सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सोचो, क्या यह सब-कुछ गलत है। हाँ, एक बात मैं अवश्य कहूँगा कि 'AAP' को अभी केंद्र-शासन में आने की जल्दी नहीं करनी चाहिए, इसके लिए अभी और अधिक सुदृढ़ आधार बनाने का प्रयास उन्हें करना चाहिए। तब तक विपक्षी कुछ और कसरत कर लें।
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