प्राप्त करना ही प्रेम की अंतिम परिणिति हो, ऐसा सदैव नहीं होता। प्रेम एक साधना है, एक उपासना है, एक सम्पूर्ण जीवन है- यही दर्शाने का प्रयास किया है मैंने अपनी इस कविता में। कविता कुछ लम्बी अवश्य है किन्तु मेरे रसग्राही मित्रों को इसे पढ़कर आनन्द की एक अलग ही अनुभूति