आरक्षण के विरोध में आज 10 अप्रेल, 18 को आहूत 'भारत बन्द' की सफलता के लिए कामना करता हूँ। हमारे दलित भाइयों द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायोचित आदेश का विरोध करने हेतु 2 अप्रेल को उनके द्वारा आयोजित भारत बन्द में जिस तरह से हिंसा व उपद्रव किये गए थे, उसकी जितनी निन्दा की जाए, कम है। सच्चे लोकतन्त्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। हिंसा मानव जाति की स्वाभाविक प्रकृति नहीं है।
हमें चाहिये कि हम आज के बन्द को शांतिपूर्ण तरीके से सफलता प्रदान कर अपनी शालीनता का परिचय दें और अपने गुमराह दलित भाइयों के समक्ष एक आदर्श उदाहरण स्थापित करें। अहिंसा, हिंसा से कहीं अधिक शक्तिशाली है और ऐसे ही अहिंसक आन्दोलन के कारण अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर भागना पड़ा था।
मित्रों, हम सत्य की राह पर हैं। हम आंदोलन करें और जोर-शोर से करें, लेकिन ध्यान रखें कि अपना आंदोलन पूर्णतः अहिंसक रहे। किसी भी प्रकार की षडयन्त्रकारी गतिविधियों से भी सावधान रहें।
और...और हमारा यह आन्दोलन आज के भारत-बन्द तक सीमित न रहे, यह क्रमबद्ध रूप से तब तक चलता रहे जब तक हम आरक्षण की भेदभाव उत्पन्न करने वाली अवांछित व क्रूर व्यवस्था को जड़-मूल से समाप्त न करवा दें। तथास्तु!
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