“अरे राधिका, तुम अभी तक अपने घर नहीं गईं?” घर की बुज़ुर्ग महिला ने बरामदे में आ कर राधिका से पूछा। राधिका इस घर में झाड़ू-पौंछा व बर्तन मांजने का काम करती थी। “जी माँजी, बस निकल ही रही हूँ। आज बर्तन कुछ ज़्यादा थे और सिर में दर्द भी हो रहा था, सो थोड़ी देर लग गई।” -राधिका ने अपने हाथ के आखिरी बर्तन को धो कर टोकरी में रखते हुए जवाब दिया। “अरे, तो पहले क्यों नहीं बताया। मैं तुमसे कुछ ज़रूरी बर्तन ही मंजवा लेती। बाकी के बर्तन कल मंज जाते।” “कोई बात नहीं, अब तो काम हो ही गया है। जाती हूँ अब।”- राधिका खड़े हो कर अपने कपडे ठीक करते हुए बोली। अपने काम से राधिका ने इस परिवार के लोगों में अपनी अच्छी साख बना ली थी और बदले में उसे उनसे अच्छा बर्ताव मिल रहा था। इस घर में काम करने के अलावा वह प्राइमरी के कुछ बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थी। ट्यूशन पढ़ने बच्चे उसके घर आते थे और उनके आने का समय हो रहा था, अतः राधिका तेज़ क़दमों से घर की ओर चल दी। चार माह की गर्भवती राधिका असीमपुर की घनी बस्ती के एक मकान में छोटे-छोटे दो कमरों में किराये पर रहती थी। मकान-मालकिन श्यामा देवी एक धर्मप्राण, नेक महिल...
वाहह आदरणीय !!कितने आशिक पढ़ा दिए हमने👌👌👌
जवाब देंहटाएंजर्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया महोदया!
हटाएंवाह!वाह!सर सराहनीय।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीया अनीता जी!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (११-०१ -२०२२ ) को
'जात न पूछो लिखने वालों की'( चर्चा अंक -४३०६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आभार महोदया, अवश्य उपस्थिति दूँगा !
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-01-2022) को चर्चा मंच "सन्त विवेकानन्द" जन्म दिवस पर विशेष (चर्चा अंक-4307) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय मयंक जी, निश्चित ही उपस्थित रहूँगा!
हटाएंक्या बात है .... उम्दा रूबाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया अमृता जी!
हटाएंबहुत सुंदर उत्कृष्ट सृजन ।
जवाब देंहटाएंमेरी इस साधारण रचना को इतना सम्मान देने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ आ. जिज्ञासा जी!
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जवाब देंहटाएंवाह सर 👏👏
सच में लाजवाब पंक्ति👌
धन्यवाद... आभार मनीषा जी!
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सराहनीय सृजन।
हार्दिक आभार महोदया!
हटाएंउत्कृष्ट रचना...
जवाब देंहटाएंआभार आपका विकास जी!
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