(1) पहाड़ियों से घिरे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक छोटा सा, खूबसूरत और मशहूर गांव है ' मलाणा ' । कहा जाता है कि दुनिया को सबसे पहला लोकतंत्र वहीं से मिला था। उस गाँव में दो बहनें, माया और विभा रहती थीं। अपने पिता को अपने बचपन में ही खो चुकी दोनों बहनों को माँ सुनीता ने बहुत लाड़-प्यार से पाला था। आर्थिक रूप से सक्षम परिवार की सदस्य होने के कारण दोनों बहनों को अभी तक किसी भी प्रकार के अभाव से रूबरू नहीं होना पड़ा था। । गाँव में दोनों बहनें सबके आकर्षण का केंद्र थीं। शान्त स्वभाव की अठारह वर्षीया माया अपनी अद्भुत सुंदरता और दीप्तिमान मुस्कान के लिए जानी जाती थी, जबकि माया से दो वर्ष छोटी, किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटने वाली विभा चंचलता का पर्याय थी। रात और दिन की तरह दोनों भिन्न थीं, लेकिन उनका बंधन अटूट था। जीवन्तता से भरी-पूरी माया की हँसी गाँव वालों के कानों में संगीत की तरह गूंजती थी। गाँव में सबकी चहेती युवतियाँ थीं वह दोनों। उनकी सर्वप्रियता इसलिए भी थी कि पढ़ने-लिखने में भी वह अपने सहपाठियों से दो कदम आगे रहती थीं। इस छोटे
आदरणीय सर , इस विधा को सीखना चाहा सीख ना सकी | एक सहयोगी ने सीखाने वाले ग्रुप से जोड़ा भी था, पर सीख नहीं सकी | पर हाइकू विधा बहुत प्रभावी विधा है | गागर में सागर जैसी | बहुत सटीक लिखा है आपने . सभी हाइकू प्रभावी है | सादर
जवाब देंहटाएंआपके लिए कोई नई चीज़ सीखना कठिन नहीं हो सकता रेनू जी! यह विधा सीखने में तो कठिन कतई नहीं है। ध्यान यह रखना होता है कि इसमें शब्दों का चयन सही व सटीक हो। एक हाइकू अपने आप में पूर्ण हो व एक प्रभाव छोड़ने वाला सार्थक अर्थ रखता हो। मेरा भी यह पहला प्रयास रहा है हाइकू लिखने का। इस विधा में एक हाइकू तीन पंक्तियों से बनता है। प्रथम पंक्ति में 5 वर्ण (अक्षर), द्वितीय में 7 तथा तृतीय में पुनः 5 होते हैं। डेढ़ अक्षर की गिनती भी एक अक्षर के रूप में ही होती है। यथा, 'क्लिष्ट' , 'नम्र' और 'सुख' - यह तीनों शब्द दो वर्ण वाले हैं। आप मेरे हायकू को ध्यान से देखें। तो फिर, हो जाइये शुरू...
हटाएंअरे वाह ! बंद हो गयी अप्रूवल की बंदिश | कोटि आभार मेरे सुझाव पर मनन करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआपके सुझाव सहज स्वीकरणीय होते हैं स्नेहमयी रेणु जी, उन पर मनन की ज़रुरत कैसे हो सकती है😊?
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