अच्छा है कि वह एक पूर्व न्यायाधीश हैं, अभी तक अगर पद पर होते और वहाँ होते, जहाँ आसा राम का इंसाफ होना है, तब तो आसा राम की बल्ले-बल्ले हो जाती। मैं बात कर रहा हूँ राजस्थान के पूर्व न्यायाधीश
एस. एन. भार्गव की, जो आसा राम के भक्त हैं; ऐसे भक्त, जिन्होंने विवादास्पद बलात्कारी, आसाराम के सरेआम पाँव छुए। उनकी भक्ति यदि इतना ही उफान ले रही थी तो कहीं एकांत में ऐसी हरकत करते। लोगों के सामने इस तरह उस पापात्मा के पाँव छूकर आखिर वह समाज को क्या सन्देश देना चाहते थे ? न्याय की कसौटी पर कसे जाने से पहले ही क्या वह आसा राम को एक निर्दोष सन्त मान रहे हैं ?
एक प्रश्न- क्या यह घटना एक सामान्य जन को अचम्भित व उद्वेलित करने के लिए यथेष्ट नहीं है ?
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