कृपया कोष्टक में अंकित आलेख को अवश्य पढ़ें।
दिल में जब तक तड़पन पैदा न हो, प्यार का रंग कुछ फीका-फीका ही रहता है। कई महानुभावों ने इसे महसूसा होगा। तड़पन का कुछ ऐसा ही भाव आप देखेंगे प्यार की मनुहार वाली मेरी इस कविता में - "प्यार अधूरा रह जाएगा ..."
(महाराजा कॉलेज, जयपुर में प्रथम वर्ष के अध्ययन के दौरान हमारी वार्षिक पत्रिका 'प्रज्ञा' में यह कविता प्रकाशित हुई थी। कविता के आवश्यक तत्व 'मात्राओं की समानता' का पूर्णतः अनुपालन मैंने इस कविता में किया था। मेरी इस कविता में मुखड़ा मिलाने वाली चार पंक्तियों में प्रत्येक में 16 तथा अन्य पंक्तियों में हर विषम संख्या वाली पंक्ति में 16 मात्राएँ व हर सम संख्या वाली पंक्ति में 14 मात्राएँ आप पाएँगे। आज भी कुछ अच्छे कवियों द्वारा इस मात्रा-धर्म को निभाया जाता है, किन्तु अतुकांत कविताओं का दौर चलने के बाद कुछ ही कवि इस ओर ध्यान देते हैं। मैं भी अब इतना ध्यान मात्राओं के मामले में नहीं रख पाता... हाँ, रिदम का ध्यान यथासम्भव रखता हूँ।)



टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें