मंडी (कुल्लू-मनाली रोड़) के पास व्यास नदी में बह गए मासूम नौजवान इंजीनियरों ! हर आम आदमी व्यथित है कि एक गैर जिम्मेदाराना इंसानी भूल ने असमय ही तुम्हारी ज़िन्दगी लील ली। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं, लेकिन प्रश्न है मेरा- 'क्यों कर रहे थे इंजीनियरिंग की पढ़ाई ? क्यों नहीं नेतागिरी को अपना करियर बनाया ?'
व्यास नदी में कहीं बह रही या अटकी तुम्हारी मृत देहों को तलाशने के लिए नदी के किनारे-किनारे खोजक दाल के सदस्य मंथर गति से ढूँढने का दायित्व निभा रहे हैं, कोई एक हेलीकॉप्टर इस कार्य के लिए तुम्हारे निष्प्राण शरीरों को मयस्सर नहीं। यदि माननीय बनने के लिए कहीं चुनावी भाषण देने जा रहे होते तो कई-कई हेलीकॉप्टर तुम्हारी हाज़िरी में बड़े (समर्थ) लोगों द्वारा मुहैया करा दिए गए होते।
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