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वाह रे प्रजातंत्र --

  मुख्य मंत्री जी (राजस्थान) जनता को बाँट रहे हैं - अस्पतालों में मुफ्त दवाइयां और जांचें (अव्यवस्था से ग्रस्त), मुफ्त सी एफ एल बल्ब, सस्ता अनाज, छात्राओं को मुफ्त लैपटॉप, साइकिलें, छात्रवृत्तियाँ और भी न जाने क्या कुछ। पात्र-अपात्र सभी को मिल रहा है यह सब कुछ और पहचान-भ्रष्टाचार का योगदान पृथक से जुड़ रहा है इसमें। आ. मुख्य मंत्री जी के वेतन से तो निश्चित  ही नहीं बांटा जा रहा यह सब-कुछ। जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए कर, आदि से अर्जित कोष का सरे-आम दुरूपयोग हो रहा है। निस्संदेह ही ज़रूरतमंद को सुविधा उपलब्ध कराना राजकीय धर्म है, लेकिन राज्य-कोष का अनुचित दोहन वांछनीय नहीं। राज्य-सरकार रोजगार के उपाय करने के विपरीत लोगों में कामचोरी एवं भीख की प्रवृति को जन्म दे रही है।  सन्देह है कि यह सभी अनुदान 'वोट' में तब्दील हो पायेंगे। मैंने लाभ उठाने वाले लोगों में से ही कई लोगों को व्यवस्था का उपहास करते देखा है।
                                राज-कोष की लूट है जितना लूट सके सो लूट,
                               बाद इलेक्शन पछताएगा, फिर न मिलेगी छूट।    


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