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निर्भया-बलात्कार कांड के अपराधी -

 
    निर्भया-बलात्कार एवं हत्याकांड के सात अपराधी हैं।
चार मुजरिमों को फांसी की सज़ा  दी गई है जिसके विरुद्ध बचाव-पक्ष अपील करने का मानस बना रहा है। हो सकता  है इस सज़ा को नाकाफ़ी मान कर उच्च न्यायालयों द्वारा अधिक कठोर सज़ा दे दी जाये - यथा, इन्हें चौराहे पर खड़ा करके जनता पत्थर मार-मार कर इनका शरीर छलनी कर दे और फिर इनके घायल शरीरों पर नमक-मिर्च तब तक छिडके जब तक चीखते -चीखते इनके प्राण न निकल जाएँ। 

एक अपराधी ने कारागृह में आत्म-हत्या कर ली अतः उसके लिए कुछ कहना उचित नहीं होगा।  उसने अपनी सज़ा ख़ुद तजवीज कर ली। नर्क में अपने पाप की सज़ा वह अब भी भुगत रहा होगा। 

एक अन्य अपराधी को नाबालिग होने का लाभ देकर कानूनी बाध्यता के कारण तीन वर्ष तक सुधार-गृह में रखने की सज़ा दी गई है। बालिगों वाला अपराध करने वाला, निर्ममता की पराकाष्ठा तक जाने वाला  वह दरिंदा नाबालिग कैसे माना जा सकता है- समझ से परे है यह बात। शादी या मतदान के मापदंड के आधार पर भले ही बालिग कहलाने की उम्र 18 वर्ष मानी जाये और इसे संशोधित नहीं किया जाये, लेकिन अपराधी को नाबालिग होने का लाभ मिलना कत्तई न्यायोचित नहीं है। नाबालिग की परिभाषा देश और समाज के लिए समीचीन हो सकती है, किन्तु अपराध के मामलों में भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया जाकर 'नाबालिग' का प्रावधान समाप्त किया जाना समय की मांग है। जो शख्स किशोरावस्था की मासूम उम्र में ऐसे भीषण अपराध कर सकता है वह बड़ा होकर क्या-क्या गुल खिला सकता है- इसकी कल्पना की जा सकती है।  

इस जघन्य अपराध-कांड में सातवां अपराधी बाद में जुड़ा है। अख़बारों एवं TV News के अनुसार इस सातवें अपराधी के वकील ने निम्नानुसार कथन किया है -
1)  "न्यायाधीश ने सरकार के दबाव के कारण ऐसा फैसला दिया है। सज़ा न्यायोचित नहीं है। यदि दो माह तक ऐसा अपराध देश में कहीं नहीं होता है तो हम अपील नहीं करेंगे। 
2) यदि मेरी लड़की किसी लड़के के साथ रात को बाहर जाती तो मैं उसे ज़िन्दा  जला देता। 

कथन न. 1 के अनुसार यह वकील एक गैर- जिम्मेदार और पागलनुमा व्यक्ति तो है ही साथ ही यदि और कहीं ऐसा अपराध नहीं होता है तो वह अपनी बात सिद्ध करने के लिए अपने ही घर में ऐसा अपराध-कांड करवा सकता है। 
कथन न. 2 के अनुसार यह क्रूर एवं हिंसक पशु के समान है।  

दोनों कथनों के आधार पर माननीय न्यायालय को स्व-प्रसंज्ञान लेकर न्यायालय की अवमानना के कारण  तथा पशुतापूर्ण, ग़ैरज़िम्मेदाराना  वक्तव्य के लिए इसे सींखचों के पीछे भेज दिया जाना चाहिये। 


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