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रिश्ते सहेजें...

   (तनिक संशोधन के साथ, एक मित्र की फेसबुक पोस्ट से साभार !...तर्क की हर कसौटी पर खरा, सटीक सत्य!) पानी ने दूध से मित्रता की और उसमें समा गया. जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा, "मित्र, तुमने अपने स्वरूप का त्याग कर मेरे स्वरूप को धारण किया है। अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हें अपने मोल बिकवाऊंगा"। दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है, "अब मेरी बारी है, मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा।" उबलते वक्त दूध से पहले पानी उड़ जाता है। जब दूध मित्र को अलग होते देखता है तो वह भी उफन कर गिरता है और अलगाव के लिए जिम्मेदार आग को बुझाने लगता है। अब, जब पानी की बूंदे उफनते दूध पर छिड़क कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है, तब वह फिर शांत हो जाता है। इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास ( निम्बू की दो-चार बूँद ) डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं।     मित्रों, इसी तरह से थोड़ी सी भी मन की खटास अटूट प्रेम को मिटा देती है।    "सच्ची मित्रता से बढ़ कर कोई दूसरा रिश्ता नहीं हो सकता। इस रिश्ते को और अन्य रिश्तों को भी किसी भी प

'एक सुझाव ...'

   आज राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार (जो यहाँ शेयर कर रहा हूँ ) पढ़ कर मन आश्वस्त हुआ कि धार्मिक सहिष्णुता सभी धर्मों के अनुयायियों में अभी

भगवान बनना चाहता हूँ...

एक दिन के लिए, केवल एक दिन के लिए भगवान बनना चाहता हूँ ताकि मैं प्रत्येक जीवित प्राणी में भूख जगाने वाले तत्व को समूल नष्ट कर सकूँ...क्योंकि अधिकांश अपराधों के लिए भूख ही उत्तरदायी होती है।

विरोध हेतु ऐसा घिनौना कृत्य...उफ़्फ़!

     गौरवशाली इतिहास वाली कॉन्ग्रेस की जो दुर्दशा कुछ दुर्बुद्धि कॉन्ग्रेसियों के कारण वर्तमान में हो गई है, उसके पुनरुद्धार की सोच तो कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही, बल्कि इसके विपरीत इस पार्टी के

आँगन के कांटे

अक्ल के दुश्मन पाकिस्तानियों, जब खुद पर बन आई तो सभी आतंकियों के

उफ्फ्फ...यह नर-पिशाच !

क्या हमारे देश का मौज़ूदा कानून इस दरिंदे को इसके सही अंजाम तक पहुंचा सकेगा?...मैं निर्धारित करता हूँ इसका सही मुकाम! यह बीच चौराहे सड़क पर पड़ा हो, चारों तरफ से कई लोग इसे नुकेले हथियारों से गोंद रहे हों और एक व्यक्ति इसके जख्मों पर नमक-मिर्च छिड़क रहा हो इसके प्राणान्त तक और...और इसमें कानून की पूरी सहमति हो। यह भी कि मानवाधिकार वाले इस घृणित व्यक्ति के कुकर्मों से पीड़ित बच्चों में अपना स्वयं का बच्चा देखें। शायद मैं अभी भी इस नर-पिशाच के प्रति नर्म व्यवहार तजवीज़ कर रहा हूँ!

विकास की ओर कदम (?)

राजस्थान के ताज़ातरीन मंत्री बने श्री कृपलानी ने 30 फीट रोड़ पर मकानों में बनी दुकानों व शोरूम आदि के नियमन की सिफारिश की है। 30 फीट रोड़ वाली कॉलोनी में जहाँ दूकानें चल रही हैं वहाँ के हालात कुछ इस तरह के हैं कि मकानों की चारदीवारी के पास तो दाएं-बाएं कॉलोनी-वासियों के कार-स्कूटर खड़े रहते हैं और अगल-बगल जहाँ भी जगह मिल जाती है, दुकानों के ग्राहक अपने वाहन खड़े कर देते हैं। अब वहाँ से गुजरने वाले वाहन और बूढ़े-बच्चे व महिलाएं पुरस्कार योग्य कौशल से निकल तो लेते हैं पर कभी कभार अपने गंतव्य पर पहुँचने के बजाय हॉस्पिटल पहुँचने की नौबत आ जाती है। अगरचे इस विभीषिका से मंत्रीजी अन्जान नहीं हैं और वहां दुकानों का नियमन भी आवश्यक है तो रहवासी लोगों की संख्या का आंकलन कर छोटे-छोटे यान बनवाकर उन्हें उपलब्ध कराएं ताकि लोग अपने कार्यस्थल से सीधे ही अपने मकान की छतों पर उतर सकें। मंत्री है आप, क्या नहीं कर सकते! दुखद आश्चर्य है कि राजस्थान पत्रिका जैसे स्तरीय समाचार पत्र ने अपने 'पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क' में इस अवांछनीय प्रक्रिया को 'नगरपालिका क्षेत्रों को बड़ी राहत' बतलाया है। काश