दिल में जब तक तड़पन पैदा न हो, प्यार का रंग कुछ फीका-फीका ही रहता है। कई महानुभावों ने इसे महसूसा होगा। तड़पन का कुछ ऐसा ही भाव आप देखेंगे प्यार की मनुहार वाली मेरी इस कविता में - "प्यार अधूरा रह जाएगा ..." (महाराजा कॉलेज, जयपुर में प्रथम वर्ष के अध्ययन के दौरान हमारी वार्षिक पत्रिका 'प्रज्ञा' में यह कविता प्रकाशित हुई थी।) "प्यार अधूरा रह जाएगा" पली नहीं ‘गर पीर हृदय में, प्यार अधूरा रह जाएगा। आया हूँ तुम्हारे दर पर, शब्द-पुष्प का हार लिये। इसको कहो विरह प्रेमी का, या विरही का प्यार प्रिये। मत ठुकराना प्रिय तुम इसको, हार अधूरा रह जाएगा। पली नहीं गर पीर ह्रदय में, प्यार अधूरा रह जाएगा।। मैं गाता हूँ, साज उठा लो, स्वर खो जाएँ स्वर में ही। तंत्री से मत हाथ हटाना, बिखर पड़ेंगे भाव कहीं। स्वर को अगर मिला न सहार...