तो दे दो इन्हें पृथक आदिवासी राज्य! ऐसा राज्य दे दो इन्हें जहाँ केवल आदिवासी जनता हो, केवल आदिवासी कर्मचारी-अधिकारी हों और सभी मंत्री भी आदिवासी हों। यदि मिश्रित समाज एवं सहबन्धुत्व की भावना से इन्हें इतना ही परहेज है तो दे ही दो इन्हें पृथक राज्य! इस तरह की मांग करने वाले पृथकतावादी क्यों भूल जाते हैं कि विभाजन कितना कष्टदायी होता है, 1947 के भारत-विभाजन का दंश नासूर बनकर अभी तक भी हर देशवासी को कितनी पीड़ा दे रहा है! दे दो इन्हें पृथक राज्य, लेकिन भारत-विभाजन के समय विभाजन के मूल उद्देश्य को जिस तरह से दरकिनार कर दिया गया था, उस भूल की पुनरावृत्ति न हो। आदिवासी राज्य हो, लेकिन हो वह केवल आदिवासियों का। (कृपया अवलोकन करें राजस्थान पत्रिका, दि. 24 -12-2016 से ली गई निम्नांकित खबर का)