मुंबई के बलात्कारियों ! काश, तुमने संत का चोला पहना होता तो यूँ आसानी से गिरफ्तार तो नहीं होते। तुम्हारे समर्थन में भोले- भाले, अन्धविश्वासी अनुयायियों की भीड़ भी तो नहीं है जो तुम्हें बचाने के लिए शोर मचाये। लेकिन … लेकिन फिर भी शायद तुम बच जाओगे फिर से ऐसा नारकीय कुकर्म करने के लिए क्योंकि मेरे देश का न तो कानून ही सक्षम है और न ही कानून के रखवाले। और नहीं, तो कोई नेता ही तुम्हारी ढाल बन जायेगा। अभी तो तुम्हारे जैसे नरपिशाचों की शिकार बनी दिल्ली की मासूमा के लहू के दाग सूखे भी नहीं हैं। कुछ समय तक कुछ संवेदनशील लोग तुम्हारी इस नामर्दगी को धिक्कारेंगे और फिर चुप हो जाएंगे, क्योंकि पंगु प्रशासन की संवेदनहीनता से अनेकों बार रूबरू हो चुके हैं। तुमसे ही एक सवाल -यह धरती तो पहले से ही कितने ही पापियों के बोझ से दबी पड़ी है फिर तुम्हारा पैदा होना क्यों ज़रूरी था ? …
मेरे देशवासियों, हमारा देश शांति-पूर्वक जीने के लिए अब सुरक्षित नहीं रहा है…तब तक नहीं, जब तक कि कोई कृष्ण जन्म नहीं ले लेता ऐसे पापियों के संहार के लिए।
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