“Mother’s day” के नाम से मनाये जा रहे इस पुनीत पर्व पर मेरी यह अति-लघु लघुकथा समर्पित है समस्त माताओं को और विशेष रूप से उन बालिकाओं को जो क्रूर हैवानों की हवस का शिकार हो कर कभी माँ नहीं बन पाईं, असमय ही काल-कवलित हो गईं। ‘ऐसा क्यों’ आकाश में उड़ रही दो चीलों में से एक जो भूख से बिलबिला रही थी, धरती पर पड़े मानव-शरीर के कुछ लोथड़ों को देख कर नीचे लपकी। उन लोथड़ों के निकट पहुँचने पर उन्हें छुए बिना ही वह वापस अपनी मित्र चील के पास आकाश में लौट आई। मित्र चील ने पूछा- “क्या हुआ, तुमने कुछ खाया क्यों नहीं ?” “वह खाने योग्य नहीं था।”- पहली चील ने जवाब दिया। “ऐसा क्यों?” “मांस के वह लोथड़े किसी बलात्कारी के शरीर के थे।” -उस चील की आँखों में घृणा थी। **********
'गोदी मीडिया', 'गोदी मीडिया' कह कर शोर मचाने वाले यह 'रोती मीडिया' (मेरे द्वारा किया गया नामकरण) के नाकारा पत्रकार भारत सरकार के हर फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया करके निरन्तर जहर उगला करते रहते हैं। अभी हाल में एक नया मुद्दा इनकी खुराक बना है - 'वन नेशन, वन इलेक्शन'। सामान्य बुद्धि रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस मिशन की सार्थक उपयोगिता समझ सकता है, लेकिन रोती मीडिया के यह विघ्न-संतोषी तथाकथित पत्रकार इसमें भी दोष ही दोष बता कर तूफान खड़ा कर रहे हैं; इसमें बीजेपी का ही फायदा है, यह बताने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। हमारे देश के ख्यात झूठ-सम्राट तो कहते हैं कि बीजेपी वाले यह मिशन लाना चाहते हैं, ताकि पांच साल तक उन्हें जनता के सामने नहीं आना पड़े। यानी वह यह तो मान ही रहे हैं कि बीजेपी ही अगली बार भी सता में आएगी। अरे भई, व्यर्थ की अविवेकतापूर्ण बातें करने और झूठी नौटंकी करने के बजाय वास्तविकता की धरती पर कुछ अच्छे काम कर दिखाने का प्रयास करो तो तुम लोग भी सत्ता में आ सकोगे। फिर बने रहना सत्ता में पाँच साल तक, कौन रोकता है? 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के मिश