"यार, थोड़ा जल्दी तैयार हो जाओ न, भूख के मारे प्राण निकले जा रहे हैं।" -कुछ झुंझलाते हुए मैंने कहा। "दो दिन का उपवास करने के लिए मैंने कहा था आपसे? तैयार होने में लेडीज़ को तो टाइम लगता ही है। आधे घंटे से कह रही हूँ कि पांच मिनट में तैयार हो रही हूँ और तुम हो कि जल्दी मचाये जा रहे हो। कम्बख़्त ढंग की साड़ी तो दिखे।" -वार्डरॉब में लटकी साड़ियों पर से नज़र हटा कर श्रीमती जी ने मेरी ओर आँखें तरेरीं। अलमारी में रखी पचासों साड़ियों में से उनको कोई ढंग की साड़ी नज़र नहीं आ रही थी, इसका तो मेरे पास भी क्या इलाज था? गले में लटकी टाई को थोड़ा लूज़ करते हुए मैं कुर्सी पर बैठ गया। अभी तक तो साड़ी का चुनाव ही नहीं कर सकी हैं श्रीमती जी! साड़ी पसंद आने के बाद तैयार होने में और फिर तैयार हो कर शीशे में हर एंगल से दस-बीस बार निहारने में कम से कम एक घंटा तो और लगेगा ही उनको, यह मैं जानता था। आधे-पौन घंटे बाद जब मैंने देखा कि अभी भी उनका मेक-अप तो बाकी ही है तो मैंने धीरे-से उन्हें मज़ाक में चेताया- "ऐस