अभी-अभी की ताज़ा खबर है कि लद्दाख में भारतीय व चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान हुई एक झड़प में हमारी सेना का एक अफ़सर तथा दो सैनिक शहीद हो गये हैं। एक ओर दोनों देशों के फौजी उच्चाधिकारियों के मध्य स्थिति को सामान्य बनाने की प्रक्रिया के लिए बातचीत हो रही है वहीं दूसरी ओर लद्दाख में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना होना चिंता का विषय है।
हमारा शान्तिप्रिय देश जहाँ एक ओर कोरोना के कारण उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों से जूझ रहा है तो दूसरी ओर सीमाओं पर विस्तारवादी चीन और आतंकपोषी पाकिस्तान जैसे कुटिल दुश्मनों के साथ एक नया नाम नेपाल का भी जुड़ गया है। वह नेपाल, जिसकी संस्कृति हमारे देश के अधिक निकट की रही है, गुमराह हो कर सम्भवतः चीन की शह पर ही हमें आँखें दिखाने लगा है।
स्थिति गम्भीर होती जा रही है। हमने देश के तीन सपूतों को खो दिया है। राजनैतिक स्तर पर हमारी सरकार व सीमा पर डटी हमारी बहादुर सेना, दोनों ही, स्थिति के समाधान के लिए मोर्चे पर डटी हुई हैं। अब हमें अपने स्तर पर यह सोचना चाहिए कि हम अपनी ओर से देश को क्या दे सकते हैं।
तो मैं आवाहन करना चाहता हूँ समस्त देशवासियों से कि अब तक कई अवसरों पर जैसा कि कहा जाता रहा है कि हमें चीन-निर्मित सभी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए और कोई भी नई खरीद चीन-निर्मित माल की नहीं करनी चाहिए, दृढ़ता से हम इसका अनुपालन करें। राष्ट्रीय अस्मिता पर ड्रैगन के खूनी पंजे ने प्रहार किया है। उसे शिथिल करने का एक मज़बूत हथियार हमारे पास यही है कि आर्थिक मोर्चे पर हम उसे निष्प्राण करने की और कदम बढ़ायें। यही हमारी सच्ची देशभक्ति होगी। किसी भी तरह का स्वार्थ या प्रलोभन हमें देश से गद्दारी करने के लिए प्रेरित न करे, यह हमारा दृढ संकल्प होना चाहिए।
शपथ लो मित्रों, कि अब से हम चीनी माल का पूर्णतः बहिष्कार करेंगे और अपने सभी साथियों को इसके लिए प्रेरित ही नहीं, बाध्य भी करेंगे।
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