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संदेश

मीडिया की गैरज़िम्मेदारी

                                                     मीडिया में कुछ अपराध-सीरियल्स में तथा कुछ अपराध-आधारित मूवीज़ में अपराध के विभिन्न तरीकों को दर्शाया जाता है। इन कहानियों से जन-जागृति तो नहीं होती, अपितु अपराध के तरीकों को देख कर सामान्य अपराधियों को भी उन्हें आजमाने की प्रेरणा मिलती है। यह सब जानने के बावज़ूद अख़बार वाले सबक नहीं लेते। गैरज़िम्मेदारी का प्रमाण देखिये कि अभी हाल ही में एक अखबार ने खबर छाप दी कि शहर में एक ही सप्ताह में कई लोगों को श्वानों ने काटा है। इधर इस खबर का छपना था कि हमारी कॉलोनी के सीधे-सादे श्वानों ने भी दो ही दिनों में चार लोगों को काट खाया।

प्रेम और वासना (कहानी)

        प्रेम और वासना में वैसे तो बहुत अंतर होता है, किन्तु कभी-कभी दोनों के मध्य का अन्तर एक धागे से भी महीन रह जाता है। यह भी सच है कि कई बार प्रतिकर्षण ही आकर्षण का कारण बन जाता है। मेरी इस कहानी में इन्हीं मानवीय भावनाओं का संगम देखेंगे आप!       प्रेम और वासना                                                              लवलीन को इस मकान में आये लगभग एक माह हो गया था। पहले वह इसी कॉलोनी के एक अन्य मकान में रहता था, किन्तु वहाँ कमरा छोटा होने से पिछले माह इस मकान में आ गया था। इस दोमंजिला मकान की ऊपरी मंज़िल में बायीं तरफ वाले पोर्शन में मकान-मालिक (पति-पत्नी) रहते थे और दायीं तरफ अटैच्ड बाथरूम वाला एक कमरा था जिसे लवलीन ने किराये पर लिया था। ग्राउंड फ्लोर पर दायीं तरफ दो कमरे, किचन व बाथरूम का एक पोर्शन किराये पर देने के लिए था जिसमें कल ही एक परिवार रहने के लिए आया था और बायीं तरफ का भाग पार्किंग के लिए था। लवलीन आज बिस्तर से उठा तो सुबह के सात बज रहे थे। कल रात एक मूवी का अन्तिम शो देख कर आया था, सो स

आज का राजनैतिक संवाद (मेरी नज़र से) ---

      (दिल्ली विधान सभा चुनाव के लगभग एक सप्ताह पहले श्री राहुल गांधी ने अपने एक चुनावी भाषण में कहा था कि वर्तमान केंद्रीय शासन ख़त्म होने के बाद लोग मोदी को डंडे से मारेंगे।) चुनाव से एक दिन पहले :-   बीजेपियन- हमारे पास मोदी है, तुम्हारे पास क्या है? आपियन- हमारे पास केजरीवाल है। कॉन्ग्रेसी- तुम दोनों ज्यादा शेखी मत बघारो, वर्ना मारूँगा डण्डा। 😜 😜 😜

'अपराधी कौन?' (कहानी)

                                                           दर्शकों से भरे अदालत-कक्ष में शहर के एक प्रतिष्ठित आभूषण-व्यवसायी के घर पर एक वर्ष पूर्व हुई चोरी और व्यवसाय-स्वामी चितरंजन दास की हत्या के मुकद्दमे के आखिरी दिन की सुनवाई चल रही थी। सरकारी वकील व बचाव पक्ष का वक़ील, दोनों अपनी जिरह पूरी कर चुके थे।  जिरह के अंत में सरकारी वक़ील हेमन्त सिंह ने कहा- "मी लॉर्ड, तमाम हालात के मद्देनज़र सारा मामला आईने की तरह साफ है। सेठ जी की पत्नी व उनका बेटा, दोनों चश्मदीद गवाहों ने अपने बयानों में बताया है कि उन्होंने सेठ चितरंजन दास के कातिल, मुनीम उमेश कुमार को उस रात सेठ जी के कमरे से निकल कर ब्रीफ़केस सहित भागते हुए देखा था। उनके कदमों की आहट सुन लेने से क़त्ल के बाद भागते समय मुजरिम हड़बड़ी में चाकू वहीं छोड़ गया था। ब्रीफकेस में वह सेठ जी के आठ करोड़ रुपये के हीरेजड़ित स्वर्णाभूषण ले गया था। सेठ जी का मुलाजिम होने के कारण उन तक उसकी पहुँच भी आसान थी, इसलिए उसे अपना मकसद पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं हुई। क़त्ल में इस्तेमाल चाकू पर मुलज़िम उमेश की हथेली या उंगलियों के निशान

CAA का विरोध (?)... एक नज़रिया !

"मैडम जी, म्हूं काले कॉम पे नीं आऊँगा (कल मैं काम पर नहीं आऊँगी)।"- गृह-सहायिका ने मेरी पत्नी को अग्रिम सूचना दी। "क्यों रूपा? कोई ज़रूरी काम है कल? कल तो मेरे यहाँ मेहमान आ रहे हैं और कल ही तुझे छुट्टी लेनी है।" "हाँ मैडम जी, काले कईं है के म्हने जलूस में जाणों है (क्या है कि कल मुझे जुलूस में जाना है)।" "अरे, काहे का जुलूस है?" "अरे, वो कईं के, सर्कार कोई नियो कानूण बणायो है नी, कईं के विणें शीशिए-वीशिए (अरे वह कुछ सरकार ने कोई नया क़ानून बनाया है न, क्या कहते हैं उसे, शीशिए-वीशिए)!" मैं भी पास में ही खड़ा था, समझ गया कि CAA के बारे में कह रही है। पत्नी जी भी समझ गई थीं, मुस्करा कर उन्होंने पूछा उससे- "तू जानती है क्या होता है शीशिये?" "नईं जी, म्हने तो नी पतो, पण वो कशी पार्टी वाड़ा आया, जोईज के र्या  के सर्कार खोटो काम कर्यो ए (नहीं जी, मुझे तो नहीं पता, किन्तु वह किसी पार्टी वाले आये थे, उन्होंने ही बताया कि सरकार ने ग़लत काम किया है)।"    सुन कर हम दोनों को हँसी आई, पर उसे स्वीकृति दे दी। उसे CAA के बारे मे