मेरे देश का एक जवान देश के पचास दुश्मनों को जमींदोज़ करने की ताक़त रखता है, लेकिन कल पाकिस्तान समर्थित जैश-ए -मोहम्मद के एक नापाक आतंककारी आदिल अहमद के आत्मघाती हमले के कारण हमारे चालीस से अधिक जवानों की जान निरर्थक चली गई। दोज़ख के कीड़े आदिल ने कश्मीर के पुलवामा में CRPF के 2500 जवानों के 70 बसों के काफिले में चल रही एक बस से विस्फोटकों से भरी एक गाडी भिड़ा कर इस हादसे को अंजाम दिया। सड़क और उसके आस-पास का क्षेत्र लाशों के चिथड़ों से पट गया। उफ्फ्फ!... हमारी आन्तरिक सुरक्षा प्रणाली को किस दीमक ने खा लिया है? आखिर कोई तो है देशद्रोही, जिसने इस आतंककारी को मदद की है। शहीद जवानों के परिजनों के आँसुओं के दोषी हम भी तो हैं। बहुत जल्दबाज़ी होगी अगर हम कहें कि देश के कर्णधार खामोश बैठे हैं, लेकिन अब तक का इन राजनेताओं का इतिहास तो यही रहा है कि ऐसी ह्रदय-विदारक घटनायें होने पर घड़ियाली आंसू बहाने के उपरान्त यह लोग निर्लज्ज चुप्पी साध लेते हैं। कुछ राजनेता इस बार भी आँखें लाल कर रहे हैं, मूंछों पर ताव दे कर हुंकार भी भर रहे हैं, बार-बार यह भी कह रहे हैं कि जवानों की इस आ